उदय प्रकाश को पीटने की धमकी : फासीवाद की पद-ध्वनि
अरुण माहेश्वरी
सभी मित्रों का ध्यान एक बेहद चिंताजनक तथ्य की ओर दिलाना चाहता हूँ ।
पंकज कुमार झा नामक एक महोदय ने फ़ेसबुक में उदय प्रकाश की वाल पर प्रतिक्रिया देते हुए सीधे-सीधे उन्हें गंदी गालियाँ दी है और उन्हें सरे-आम पीटने की धमकी के साथ उनके खिलाफ जातिवादी घृणा का ज़हर फैलाने की कोशिश की है । उदयप्रकाश ने ब्राह्मणवाद से जुड़े प्राचीन चातुर्वर्ण्य सनातन धर्म और कर्मकांडों की प्रतिक्रियावादी परंपरा के ऐतिहासिक संदर्भ में आज के आधुनिक भारत को फिर से मध्ययुगीन अंधेरे में ले जाने वाली सांप्रदायिक ताक़तों के विरोध में एक पोस्ट लगाई थी, जिसमें ब्राह्मणवाद को एक राष्ट्र-विरोधी विचार बताया गया था । पंकज कुमार झा ने जान-बूझ कर उनकी इस पोस्ट को विकृत किया और ब्राह्मणवाद से अभिहित उसके विचारधारात्मक संदर्भों के बजाय उसे आज की ब्राह्मण जाति के विरोध का जातिवादी रूप देकर उनके खिलाफ जातिवादी घृणा फैलाने की कोशिश की है ।
उदय प्रकाश हिंदी के आज सबसे प्रतिष्ठित और जनप्रिय कथाकार है । देश और दुनिया की कई भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद हो चुका है और सब जगह बड़े आदर के साथ उनका नाम लिया जाता है । हिंदी के एक ऐसे ख्याति-प्राप्त सम्मानित रचनाकार को जातिवादी और सांप्रदायिक नफ़रत का शिकार बनाने की यह कोशिश साहित्य की अस्मिता पर आरहे ख़तरे का एक बेहद चिंताजनक संकेत देती है । यह समय है जब पूरे लेखक समुदाय को उदय प्रकाश के प्रति एकजुटता जाहिर करते हुए बदनीयती से भरे ऐसे जातिवादी-फासीवादी हमले के खिलाफ अपनी आवाज़ उठानी चाहिये ।
अरुण माहेश्वरी
CF-204, Salt Lake, Kolkata – 700064
मो०: 09831097219
नवरात्रों की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (25-03-2015) को "ज्ञान हारा प्रेम से " (चर्चा - 1928) पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'