भर्तृहरि (कविता) - कैलाश वाजपेयी | Bhartrihari Poem by Kailash Vajpeyi (hindi kavita sangrah)


भर्तृहरि

कैलाश वाजपेयी

भर्तृहरि - कैलाश वाजपेयी | Bhartrihari Poem by Kailash Vajpeyi

चिड़ियाँ बूढ़ी नहीं होतीं

कैलाश वाजपेयी अपनी कविता 'भर्तृहरि' का पाठ करते हुए
18 अगस्त 2013, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर
(भारतीय ज्ञानपीठ के कार्यक्रम में)
  
मरखप जाती हैं जवानी में
ज़्यादा से ज़्यादा छह-सात दिन
तितली को मिलते हैं पंख
इन्हीं दिनों फूलों की चाकरी
फिर अप्रत्याशित
झपट्टा गौरेया का
एक ही कहानी है
खाने या खाए जाने की
तुम सहवास करो या आलिंगन राख का
भर्तृहरि! देही को फ़र्क नहीं पड़ता
और कोई दूसरी पृथ्वी भी नहीं है

भर्तृहरि! यों ही मत खार खाओ शरीर पर
यही यंत्र तुमको यहाँ तक लाया है
भर्तृहरि! यह लो एक अदद दर्पण
चूरचूर कर दो
प्रतिबिंबन तब भी होगा ही होगा
भर्तृहरि! अलग से बहाव नहीं कोई
असल में हम खुद ही बहाव हैं
लगातार नष्ट होते अनश्वर
अभी-अभी भूख, पल भर तृप्ति, अभी खाद
भर्तृहरि! हममें हर दिन कुछ मरता है
शेष को बचाए रखने के वास्ते
मौसम बदलता है भीतर
भर्तृहरि! तुमने मरता नहीं देखा प्यासा कोई
वह पैर लेता है, आमादा
पीने को अपना ही ख़ून
भर्तृहरि! तुमने मरुथल नहीं देखा
भर्तृहरि समय का मरुथल क्षितिजहीन है
और वहाँ पर ‘वहाँ’ जैसा कुछ भी नहीं
भर्तृहरि! भाषा की भ्रांति समझो
सूर्य नहीं, हम उदय अस्त हुआ करते हैं
युगपत् उगते मुरझते
भर्तृहरि! भाषा का पिछड़ापन समझो
जो भी हैं बंधन में पशु है
निसर्गतः फर्क नहीं कोई
राजा और गोभी में
छाया देता है वृक्ष आँख मूँदकर
सुनता है, धड़ पर, चलते आरे की
अर्रर्र, किस भाषा में रोता है पेड़
भर्तृहरि! तुमने उसकी सिसकी सुनी ?

भर्तृहरि! तुम्हीं नहीं, सबको तलाश है
उस फूल की
जो भीतर की और खिलता है
भर्तृहरि! लगने जब लगता है
मिला अभी मिला
आ रही है सुगंध
दृश्य बदल जाता है।

००००००००००००००००

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
टूटे हुए मन की सिसकी | गीताश्री | उर्मिला शिरीष की कहानी पर समीक्षा
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
एक स्त्री हलफनामा | उर्मिला शिरीष | हिन्दी कहानी
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy