हमें रोकना है लेकिन क्या रोकना है ?
~ अनुपमा तिवाड़ी
अब सत्ता की जय – जय गाने वाले तो बेचारे दया के पात्र हैं जो राजा की जय – जयकार गा कर ही जी सकते हैं.
एक दार्शनिक का कहना है कि ‘हमारे युवाओं में व्यवस्था को ले कर बड़ा आक्रोश है, वो सड़कों पर उतर रहे हैं, कुर्सियां तोड़ रहे हैं, मेजें तोड़ रहे है. हम उन्हें रोक रहे हैं कुर्सियां मत तोड़ो, मेजें मत तोड़ो पर वे तोड़ रहे हैं, उन्हें नहीं पता क्या तोड़ना है, बस वो तोड़ रहे हैं’ इस बात को और आगे बढ़ाएं तो ये कि उनका खून उबालें मार रहा है, भुजाओं की मछलियां उछल रही हैं, सर पर कफ़न बांधे बस वे कुछ भी कर गुजरने को उतारू हैं. देशभक्त होना चाह रहे हैं, भगतसिंह के पुतले बनना चाह रहे हैं जवानी को दांव पर लगाने के लिए बेताब हैं पर ये नहीं जानते कि वे क्या तोड़ रहे है और क्यों तोड़ रहे हैं ?
लगभग हर दिन अख़बारों में इंसानी त्रासदी की ख़बरें एक ओर हैं तो खोखली देशभक्ति की ख़बरें भी बराबर से चस्पा हैं. पिछले दिनों हमारे देश में तीन बड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों पानसरे, दोभालकर और कुल्बर्गी की हत्या कर दी गई है, देश में अब तक बारह आर टी आई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है. ढाका और पाकिस्तान में अनेक ब्लोगेर्स की हत्याएं हुई हैं और ढाका की तसलीमा सिर छुपाती फिर रही है. आज नित नए तरीकों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ताले ठोके जा रहे हैं. विधर्मियों और विदेशी लेखकों की पुस्तकों के विमोचनकर्ताओं के चेहरों पर स्याही फेंक कर अपमानित करते हुए विरोध जाहिर किया जा रहा है. विदेशी गायकों को यहाँ आ कर संगीत प्रस्तुति देने से रोका जा रहा है. क्या संगीत और साहित्य की कोई दीवार होती है ? ये ठीक वैसे ही है जैसे सरहदों के पार से आती हवा, पानी और पंछियों को रोका नहीं जा सकता. यदि हमें इंसान से प्यार करना है, तो हमें संगीत से और इन्सान के विचारों से प्यार करना सीखना होगा यह महत्वपूर्ण नहीं कि विचार किसका है ? महत्वपूर्ण है कि वो विचार क्या है ? संगीत की प्रस्तुति कौन दे रहा है ये महत्वपूर्ण नहीं, महत्वपूर्ण ये है कि, वो संगीत क्या है ? हमारे देश में संस्कृति के ठेकेदार, दुश्मन देशों को खेलने आने से रोकने के लिए लामबंद होते दिखाई दे रहे हैं क्या रोकने से चीजें रुक सकती हैं ? किसी का आना हम रोक सकते हैं ? हाँ, लेकिन कब तक ? समस्याओं के हल तो संवाद और सामंजस्यता से ही हल किए जा सकते हैं. आज जब कानूनी व्यवस्था कमजोर पड़ती नजर आती हैं तो सरकार पर संदेह और गहराता जाता है.
इतिहास गवाह है कि संगीत का जादू किसी से छिपा नहीं है और कलम ने वो काम किए हैं जो तलवार नहीं कर सकी है. तो अच्छा है कि तलवार उठा कर रख दी जाए और कलम से प्यार किया जाए, संगीत से प्यार किया जाए, इंसान से प्यार किया जाए. कल्पना कीजिये एक साहित्य और संगीतविहीन समाज कैसा होगा ? लेखक दुनिया को पढ़ता है और फिर कलम उठाता है. लेखक के अन्दर जब विचार बाहर निकलने के लिए बेताब हो जाते हैं तब लेखक लिखता है, लेखक को रोकना सच को रोकना है. हम सच से कितना डरते हैं... अच्छा होता है कि वह सच क्या है उसे सुना और देखा जाए क्योंकि सच के अंगारों को हम दरी के नीचे छुपा कर राख नहीं बना सकते, अंगारे हमेशा पूरे सुलग कर ही राख बनते हैं. लेखक कलम के जरिये आपको सच से रूबरू करवाता है. उसे रोक कर क्या हम राजा के दरबार में चारण और भाटों द्वारा राजा की प्रशंसा में गाया जाने वाला साहित्य चाहते हैं ?
आज के दौर में आदमी महज पग्चम्पी ही नहीं कर रहा है उसका दिमाग विश्लेषण भी कर रहा है, वह एक विहंगम दृष्टि विकसित करते हुए आत्मिक ताकत महसूस कर रहा है. अब सत्ता की जय – जय गाने वाले तो बेचारे दया के पात्र हैं जो राजा की जय – जयकार गा कर ही जी सकते हैं.
अनुपमा तिवाड़ी
(कवियित्री, नवोदित कथाकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता)
ए – 108, रामनगरिया जे डी ए स्कीम
एस के आई टी कॉलेज के पास, जगतपुरा
जयपुर 302017
(कवियित्री, नवोदित कथाकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता)
ए – 108, रामनगरिया जे डी ए स्कीम
एस के आई टी कॉलेज के पास, जगतपुरा
जयपुर 302017
यदि रोकना है तो रोकिए नाबालिग बच्चियों और महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार, दलितों के साथ होने वाली नित नए प्रकार की हिंसा, लड़िये आदिवासियों के विस्थापन के मुद्दों के लिए. तोड़िए उनके महल, जो किसी और की ईंटों से बने हैं. इन सबके होते रहने से हर दिन देश, समाज, भाषा, इंसानी भावनाओं का खून हो रहा है. ये चिंता मत करो कि बीफ किसने खाया ? लड़ना है तो लड़ो, हर जानवर के प्रति होने वाली हिंसा से. दर्द तो हर जानवर को होता है. हर जानवर प्रकृति की उतनी ही खूबसूरत कृति है, जितनी कि तुम. क्या फर्क पड़ता है किसने कहाँ टेटू बनवा लिया ? अपने शरीर पर टेटू बनवाकर सजने दो उन्हें जिनके मन में जीने का उत्साह है. सुन्दर बनने की चाह है. सुन्दर बनने का ख्याल ही कितना सुन्दर होता है. प्रेमी जोड़ों को प्यार करने से क्या तुम रोक पाओगे ? कोई यूँ ही नहीं करता कभी किसी से प्यार... दुनिया आज इसलिए इतनी खूबसूरत है क्योंकि कुछ पहलें हुई हैं नया करने की, नया रचने की. जब भी धरती पर इंसानों द्वारा इन्सान सताए जाते हैं या किसी भी प्रकार की हिंसा की घटनाएँ घटती हैं तो पता नहीं भीतर तक कितना कुछ दरक जाता है जो फिर कभी जुड़ता ही नहीं.
मत करो चिंता कि ये कलाकर्मी और लेखक तुम्हारी संस्कृति का नाश कर देंगे. इसलिए आंखें खोलकर इन्हें दुनिया देखने दो. शायद ये एक नई आंखें तुम्हें दे पाएं. हर पुराना अच्छा नहीं होता लेकिन हर नए के अच्छे होने की काफी संभावनाएं होती हैं क्योंकि नया तब ही आता है जब पुराने को परिमार्जित करने की ज़रुरत महसूस हो. अच्छा लेखन हमसे कई बार भीतर तक जा कर बात करता है. अच्छा संगीत सुकून ही देता है. अच्छा खेल आनंद ही देता है. प्रेम, प्रेम बढ़ाता है. जिओ और जीने दो कि ये दुनिया बहुत खूबसूरत है, ये जीवन बहुत सुन्दर है इस पृथ्वी पर आदमी इतनी आसानी से मरेगा नहीं ...... ये जिंदा रहेगा, अपनी पूरी आजादी के साथ.......!
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