रूसी हमारे प्रधानमंत्री के सम्मान में राष्ट्रगान पेश कर रहे थे, मोदी जन-गण-मन की धुन ही नहीं पहचान पाए और आगे चल पड़े। उन्हें बांह पकड़ कर रोका गया। उनकी फजीहत हुई और देश की भी। लेकिन शायद ही कोई कहेगा कि उनकी मंशा राष्ट्र का अपमान करने की रही होगी।

इस हादसे से सही,क्या राष्ट्रभक्ति के अतिरेक में उपराष्ट्रपति से लेकर आम भारतीय नागरिकों को संदेह के घेरे में धकेलने, उन्हें राष्ट्र-प्रेम-हीन घोषित करने वाले अब सोचेंगे कि गलती देश के प्रधानमंत्री से भी हो सकती है, वह भी पराई धरती पर?

क्या उम्मीद करें कि असहिष्णुता के दौर में प्रधानमंत्री ने यह भारी भूल कर कम-से-कम अपने भक्तों को सन्देश दिया होगा कि राष्ट्रप्रेम के नाम पर असहिष्णुता और अपमान के सिलसिले पर फिर से सोचें, मौके-बेमौके अपने ही नागरिक बंधुओं के खिलाफ आसमान सर पर उठाने और नीचा या राष्ट्रद्रोही साबित करने के उपक्रम न करें?
(ओम थानवी की फेसबुक वाल से)
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