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डरावनी कहानी — खौफ़नाक ड्राइव — इरा टाक



खौफ़नाक ड्राइव 

—  इरा टाक 

डरावनी कहानी — खौफ़नाक ड्राइव —  इरा टाक



अगस्त की एक भीगी सी शाम थी, निशा के कुछ दोस्त कोलकाता से मुंबई आए हुए थे। उनसे मिलने के लिए वो घर से करीब शाम छह बजे निकल गई थी।

निशा एक टीवी एक्ट्रेस थी, वो मढ़ आयरलैंड में रहती थी जो तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ एक सुंदर टापू है मलाड से वह सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। डिनर करने और दोस्तों के साथ बातें करने में साढ़े ग्यारह कब बज गए उसे पता ही नहीं चला। उसने जाने को कहा तो दोस्तों ने उसे यह कह “अरे यार तुम्हारे पास तो गाड़ी है चली जाना थोड़ी देर और रुक जाओ हम कौन सा रोज आते हैं” रोक लिया।

उसकी माँ का भी दो तीन बार फ़ोन आ चुका था। सवा बारह बजे वो होटल से बाहर निकली। बहुत तेज़ बरसात चालू थी। रात में मढ़ जाने का रास्ता सुनसान हो जाता है, छह सात किलोमीटर तक कोई खास आबादी नहीं। मलाड से रात साढ़े बारह बजे वहां को आखिरी बस चलती है उसके अलावा कुछ इक्का दुक्का गाड़ियाँ ही इतनी देर रात नज़र आती हैं।


जैसे ही वो गाड़ी में बैठी माँ का फ़ोन फिर आ गया-
“मैं कोई बच्ची नहीं। मम्मी आप परेशान मत हो। आधे घंटे में आ जाउंगी” — उसने लडखडाती आवाज़ में कहा।

पार्टी में दो पैग पीने के बाद सुरूर उसके ऊपर हावी था। वो बड़ी रफ़्तार से अपनी कार दौड़ा रही थी। ईस्टर्न हाईवे से मिढ़चौकी तक आने में उसे ज्यादा वक्त नहीं लगा। रात में ट्रैफिक भी काफी कम था। मिढ़चौकी से अगले सिग्नल पर बायीं तरफ कब्रिस्तान के बोर्ड पर अचानक उसकी नजर गई, ठीक उसके बगल में ईसाईयों की ग्रेवयार्ड और उसके बगल में हिंदुओं की श्मशान भूमि देख कर उसे हंसी आ गयी—

“कहीं एकता हो या ना हो पर यहाँ के भूतों में जरूर एकता होगी... या ये भी मंदिर, मस्जिद, चर्च के नाम पर लड़ते होंगे ?”

  उसने फुल वॉल्यूम में गाने चला रखे थे और पूरी मस्ती में झूमती हुई वह गाड़ी चला रही थी। अचानक म्यूजिक प्लेयर की आवाज़ अपने आप कम हो गयी। वो थोडा हैरान हुई पर उसने दोबारा वॉल्यूम बढ़ा दिया।

आगे मालवणी चौराहे पर पुलिस वाले हर गाड़ी को चेक कर रहे थे। वह बहुत घबरा गई क्योंकि दो पैग पीकर गाड़ी चलाना कानूनन अपराध है। उसने म्यूजिक बंद कर दिया। बगल की सीट पर पड़ी अपनी शाल को सिर पर ओढ़ लिया। फिर कार की रफ़्तार कम कर वो पुलिस के पास रुकने ही वाली थी कि पुलिस वाले ने लड़की देख कर उसको जाने का इशारा कर दिया।

  “अगर चेकिंग होती तो मेरा लाइसेंस जब्त हो जाता, जान बच गयी... लड़की होने के फायदे ही फायदे हैं”- उसने चैन की सांस ली और शाल को वापस उतार कर लापरवाही से सीट पर फेंक दिया।

 मालवणी से होती हुई वो उस पुल पर पहुँच गयी जहाँ से, एक रास्ता मार्वे की तरफ मुड़ता है और एक मढ़आइलैंड की तरफ। पुल पर एकदम सन्नाटा था दिन में यहाँ मछली पकड़ने वालों की भीड़ रहती है।

अभी बारिश हलकी हो गयी थी। उसने फिर से गाने चालू कर लिए। दूर-दूर तक कोई नहीं था ना कोई गाड़ी ना कोई मोटरसाइकिल ना कोई आदमी। सब एकदम सुनसान !

सड़क के दोनों तरफ घने पेड़... दिन में यह रास्ता जितना सुंदर लगता है रात में उतना ही भयावह लग रहा था। रोड लाइट भी हर जगह नहीं थी। कहीं कहीं गुप्प अँधेरा था। बरसात की वजह से उसे ठण्ड महसूस होने लगी, उसने कार का एसी बंद कर खुली हवा के लिए खिड़कियाँ थोड़ी थोड़ी खोल लीं। उसका सिर चकरा रहा था और नींद से आँखें मुंदे जा रही थीं। उसने एक जगह कार रोक के पीछे पर्स में पड़ी पानी की बोतल निकाली वो अपने मुंह पर पानी के छीटें मार ही रही थी कि म्यूजिक प्लेयर फिर बंद हो गया।

मैंग्रोव के घने जंगल, मछलियों की गंध और हवा में तेजी से हिलते पेड़ देख अचानक उसे घबराहट होने लगी। उसने गाड़ी के अन्दर की लाइट जलाई और शंका से पीछे वाली सीट पर देखा। उसने घड़ी देखी रात का एक बज चुका था।

“लगता है इसका कोई वायर ढीला हो गया, कल सही करवाती हूँ”- कहते हुए उसने एक बार फिर म्यूजिक प्लेयर चालू कर दिया।
“अब तो बस भी जा चुकी होगी... मुझे इतने देर वहां नहीं रुकना चाहिए था”- उसने अपने आप से कहा

 उसने अपनी कार की रफ़्तार बढ़ा दी। सड़क ज्यादा चौड़ी नहीं थी और बीच बीच में काफी घुमावदार मोड़ भी थे। सात-आठ किलोमीटर के लंबे रास्ते पर तीन-चार जगह ही कुछ दुकानें हैं पर उस समय तो सब बंद हो चुका था और बरसात की वजह से सड़क पर एक कुत्ता भी नजर नहीं आ रहा था। म्यूजिक प्लेयर चलते चलते फिर अचानक से बंद हो गया। एक डर की लहर उसके शरीर में दौड़ गयी। उसने बायीं तरफ देखा तो एक सुनसान बंगला नज़र आया। उसे पिछले दिनों देखी हॉरर फिल्म याद आ गयी। जिसमें एक परिवार पिकनिक मनाने आता है और वापसी में उनकी कार ख़राब हो जाती है, रात बिताने को वो ऐसे ही एक सुनसान बंगले में घुस जाते हैं। बंगले का दरवाज़ा खुला होता है, पर उन्हें कोई नज़र नहीं आता, बंगले में सब कुछ अपनी जगह पर सजा हुआ होता है। कई बार आवाज़ देने के बाद जब कोई नहीं आता तो वो बेतकल्लुफ हो वहीँ रुक जाते हैं। बच्चे खेलने लगते हैं, पति घर के कोने में बनी बार से शराब पीने लगता है और औरत फ्रिज में खाने का सामान ढूढने को जैसे ही उसका दरवाज़ा खोलती है, जोर से चीख पड़ती है। फ्रिज में कटे हुए सिर, हाथ पैर रखे हुए थे। निशा वहीँ पहुँच गयी थी जैसे ! एकदम उसने तेज़ ब्रेक लगाया और गाड़ी बंद हो गयी।

उसके माथे पर पसीना आ गया था। उसने अपने सिर को झटका दिया। उसने गाड़ी चालू करने को चाबी घुमाई पर वो स्टार्ट ही नहीं हो रही थी। वो जोर जोर से गाड़ी के स्टेरिंग पर मुक्के मारने लगी। डर और बैचैनी के मारे उसका हाल खराब हो गया। बार बार कोशिश करने के बाद कार किसी तरह स्टार्ट हो गयी तब उसने चैन की सांस ली। उसने सुनसान बंगले की तरह सहमते हुए देखा और गाडी आगे बढ़ा दी।
“अरे यार निशा क्यों सुनसान रस्ते पर हॉरर फिल्म के बारे में सोच रही है, अगर गाडी स्टार्ट नहीं होती तो तू भी उसी फ्रिज में होती कटी हुई। कुछ रोमांटिक सोच, सोच... अगर इस समय विशाल होता तो ऐसे रोमांटिक मौसम में कार को चलने ही नहीं देता और सारी रात यही सड़क किनारे या सुनसान बीच पर... मैंने फालतू ही आज उससे झगडा किया” –उसने अपना मूड बदलने की कोशिश की

विशाल उसका बॉयफ्रेंड था, वो मुंबई से बाहर किसी काम से गया हुआ था इसलिए वो नहीं चाहता था कि निशा देर रात पार्टी करने अकेले जाये, इसी बात पर शाम को उनकी कहा सुनी हो गयी थी। उसे विशाल की याद आने लगी। उसने विशाल को फ़ोन मिलाया, उसका फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था। डैशबोर्ड से विशाल की गिफ्ट की हुई सीडी उठाई, और म्यूजिक प्लेयर में लगा दी।

“तू नहीं तो तेरी याद सही....विशाल आई लव यू बेबी”-निशा ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा।

“सैटरडे सैटरडे करदी रेंदी है कुड़ी...” प्लेयर ऑन करते ही बादशाह की आवाज़ में गाना चालू हो गया ।

उसने वॉल्यूम फुल कर दिया और खुद भी जोर जोर से गाने लगी। और डर एकदम से गायब हो गया। बाहर तेज़ बारिश शुरू हो गयी थी, उसने खिड़की पूरी खोल ली और बारिश की बूंदें अपने हाथ में लेकर उछालने लगी। तभी म्यूजिक प्लेयर फिर बंद हो गया, वो एक झटके में अपने नशे से बाहर आ गयी। डर झुरझुरी बन पूरी शरीर पर लोट गया। घबराहट के मारे उसका सांस लेना मुश्किल होने लगा।

“ये हो क्या रहा है ? कहीं कब्रिस्तान से कोई भूत तो गाड़ी में नहीं चढ़ गया ?” –उसने एक बार फिर गाड़ी की लाइट जला डरते डरते पीछे देखा.

कोई नहीं था। उसने डैश बोर्ड पर रखे गणेश जी की छोटी मूर्ति को छुआ और माथे से हाथ लगाया।

“थोड़ी देर आप ही हनुमान जी बन जाओ प्लीज गणपति बप्पा ....”

 “कितना सुनसान है, ऐसे में अगर कार का टायर पंचर हो जाये तो...गाड़ी फिर से बंद हो जाये और स्टार्ट न हो तो...? विशाल सही कह रहा था मुझे नहीं जाना चाहिए था”- एक के बाद एक विचार उसके दिमाग में तेज़ी से आने लगे

उसकी दोबारा म्यूजिक चलाने की हिम्मत न हुई।

“पों पों पों” अचानक एक गाड़ी के तेज़ हॉर्न से उसकी तन्द्रा टूटी, एक पल के लिए तो उसे लगा उसका दिल उछल कर बाहर ही आ जायेगा। उसकी घबराहट कई गुना बढ़ गयी।

 एक सफ़ेद रंग की स्कोडा कार बड़ी तेजी से लहराती हुई उसे ओवरटेक कर गयी। गाड़ी को देख कर ऐसा लग रहा था उसको चलाने वाले ने जम कर पी रखी हो ! मढ़आइलैंड में रईसजादों की पार्टियों के अड्डे हैं। और पुलिस भी इधर कम नज़र आती है। उसे डर लगने लगा

“कहीं यह मुझे ओवरटेक कर गाड़ी न रोक ले, कोई मदद को भी नहीं आने वाला और मेरा रेप कर कर झाड़ियों में फेंक जाएँ”

 तरह-तरह के बुरे ख्याल उसके दिमाग में आने लगे। अभी तक तो वो भूतों के ख्याल से ही डर रही थी और अब ये असली हैवान आ गए थे। उसकी धड़कनें बढ़ने लगी। स्कोडा काफी दूर जा चुकी थी यह देख उसको थोड़ी सी राहत मिली। उसने अपने गाड़ी की रफ़्तार कम कर ली। गाड़ी का सेंट्रल लॉक लगाया और खिड़कियाँ बंद कर दीं। अब वो बहुत सतर्क होकर गाडी चलाने लगी। लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद उसे वह स्कोडा सड़क के किनारे खड़ी हुई नज़र आई। उसकी पार्किंग लाइट्स चालू थी। तीन चार लड़के उससे टिके हुए शराब पी रहे थे।

 अब वह बहुत घबरा गई। उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा जैसे अभी उछल कर बाहर आ जायेगा।

“हे भगवान् अब क्या करुं... क्या करुं—क्या करूँ”- वो जोर जोर से बोलने लगी

 उसने अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और स्कोडा के पास से तेज़ी निकल गई। उसके निकलते ही वो सभी लड़के स्कोडा में बैठ गए और उसका पीछा करना चालू कर दिया। शायद उन्होंने देख लिया था कि कार एक अकेली लड़की चला रही है।

निशा की घबराहट का लेबल बहुत बढ़ गया था। उसका गला बुरी तरह सूखने लगा। उसने रोना शुरू कर दिया। वो बार बार आंसू पोंछती हुई कार के रियर व्यू मिरर में देखती कि स्कोडा कितनी दूर है।

 स्कोडा उसके पीछे-पीछे हॉर्न बजाती हुई आ रही थी। कभी वह उसके एकदम साइड में ले लेते और कभी ठीक पीछे ! गाड़ी में चार पांच लड़के थे जो शोर करते हुए पूरी तरह नशे में थे और जोर जोर से उस पर भद्दी भद्दी फब्तियां कस रहे थे।

 निशा को लगने लगा कि उसके जीवन का आखिरी दिन आ गया।

“मैंने कभी नहीं सोचा था मुझे इस तरह मरना पड़ेगा..माँ पर क्या बीतेगी? विशाल काश तुम मेरे साथ होते...” वो फफक के रो पड़ी

“अरे अब रूक भी जा जानेमन”-एक आवाज़ जोर से आई

“सौ नंबर पर फ़ोन करती हूँ”- सोचते हुए निशा ने अपना मोबाइल उठाया

फ़ोन की टच स्क्रीन हंग हो गयी थी, उसने दो तीन बार कोशिश की। लड़कों ने जोर जोर से हॉर्न बजाना शुरू कर दिया। घबराहट में मोबाइल हाथ से छूट सीट के नीचे गिर गया

उसने एक हाथ से स्टेरिंग सँभालते हुए मोबाइल को ढूढने की कोशिश की पर वो उसकी पहुँच में नहीं आ रहा था। आंसुओं और पसीने से उसका चेहरा तरबतर था।

“इसे तो रोकना होगा यार ! बहुत बलखा कर गाड़ी चला रही है”-दूसरे लड़के ने चिल्ला कर कहा

ये नशे में डूबी आवाजें उसके कानों में गरम लावे की तरह घुस रहीं थी। उसे अपनी चेतना खोती हुई महसूस होने लगी।

अचानक लड़कों ने स्कोडा के रफ़्तार बढ़ा, निशा की कार को ओवरटेक करते हुए जैसे ही बायीं तरफ मोड़ा

“भड़ाक”

एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ पुल की रेलिंग तोडती हुई स्कोडा मैन्ग्रोव के जंगल के भरे दलदल में जा गिरी।

निशा ने पूरी ताकत से ब्रेक लगाया। एक झटके से उसकी कार रुक गयी। उसकी आंखें फटी के फटी रह गई। पुल के नीचे गिरी कार से मदद के लिए चीखने की आवाजें आने लगीं। कुछ आवाजें दर्द तड़पने की थीं। वो स्तब्ध थी। उसका दिमाग सुन्न हो गया था। वो समझ नहीं पा रही थी कि अचानक ये सब क्या हो गया। तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी। मोबाइल की आवाज़ भी जैसे उसके कानों के परदे फाड़े दे रही थी। वो अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही थी, उसका शरीर पत्थर हो गया हो। बरसात तेज हो गई थी। पांच मिनट बीत गए और वो अभी तक उसी जगह पर खड़ी थी। मोबाइल दो बार बज के बंद हो गया। वो चाह कर भी मोबाइल को झुक कर ढूंढ नहीं पा रही थी। दलदल से आने वाली चीखें थम चुकी थीं।

लगभग बीस पच्चीस मिनट बीत जाने के बाद उसने खुद को संयत करने की कोशिश की और अपनी आदत के मुताबिक कार के रियर व्यू मिरर में देखा तो एक सजी धजी औरत का चेहरा नज़र आया। बड़ी काली आँखें, सुर्ख लिपस्टिक और माथे से बहता हुआ खून जो उसके चेहरे के बाएं हिस्से को ढके हुए था !

वो एक झटके से पीछे मुड़ी। पर पीछे कोई नहीं था !

उसने गाड़ी पूरी रफ्तार से भगा दी। वो चीखना चाहती थी पर डर से उसकी आवाज निकलना बंद हो गई। उसने गाड़ी की लाइट जला ली और डर के मारे दोबारा रियर व्यू मिरर में नहीं देखा। बदहवास हो पंद्रह मिनट गाडी दौड़ाने के बाद वो किसी तरह अपने घर पहुंची। उसने अपनी चाबी से दरवाजा खोला। चुपचाप माँ के कमरे में जा कर उनके पास लेट गयी। अपने कमरे में जाने की तो उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी।

***

“मैं कहती थी न इतनी रात में उस रास्ते से आना खतरनाक है। पर तू कभी सुनती नहीं...कल रात एक एक्सीडेंट हो गया, सब मारे गए”-माँ हाथ में चाय और अखबार लिए उसे जगा रही थी

वो एक झटके से उठ बैठी, उसने अखबार छीन कर खबर देखी

बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था -

भूतिया पुलिया से टकराकर एक और कार दुर्घटनाग्रस्त : गाड़ी में सवार पांचो लड़कों की मौत

लड़के स्कोडा कार में थे और सभी ने भारी मात्रा में शराब पी रखी थी। पुलिस ने बताया कि रफ़्तार की वजह से उनका गाड़ी से कण्ट्रोल खो गया और गाड़ी पुलिया की रेलिंग तोड़ते हुए खाई में गिर गयी। पर स्थानीय लोगों इसे उस दुल्हन की भटकती आत्मा का कारनामा बता रहे हैं जो अक्सर देर रात इस जगह के आस पास अक्सर घूमती है और गाड़ियों से लिफ्ट मांगती है...

गाड़ी के शीशे में दिखी दुल्हन उसकी आँखों के आगे नाच गयी, हाथ से गिरा अखबार उसे देख रहा था !

इरा टाक 



(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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11 टिप्पणियाँ

  1. asi or bhi majedaar or rochak kahaniya sunna chahunga..

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  4. Aaj Is post me hame Horror Story ko padhkar bahut he accha laga. Nice

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