HC junks plea on Akademi awards
पुरस्कार वापसी याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय से ख़ारिज
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के. श्रीनिवासन राव, सचिव, साहित्य अकादमी (फ़ोटो: भरत तिवारी) |
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने केंद्र को यह दिशा निर्देश देने की मांग — पुरस्कार को लौटाने वाले व्यक्ति को रॉयल्टी और पुस्तक से अर्जित आय का अंश भी वापस करना हो — को ख़ारिज कर दिया
केन्द्र ने कहा कि इस तरह के किसी भी दिशानिर्देश की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि साहित्य अकादमी के कार्यकारी बोर्ड ने 17 दिसंबर, 2015 को अपनी 187 वीं बैठक में कुछ पुरस्कार विजेताओं के पुरस्कार वापस किये जाने को संज्ञान में लिया और यह माना कि अकादमी के संविधान में एक बार दिये गए प्रतिष्ठित पुरस्कार को वापस लेने का कोई प्राविधान नहीं है
"... उत्तरदायी (पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी) की विशेष याचिका को ध्यान में रखते हुए कि साहित्य अकादमी के संविधान में एक बार दिये गए किसी पुरस्कार को वापस लेने का प्रावधान नहीं है, ...अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दे को इस अदालत से किस और विचार की ज़रुरत नहीं है ।
जमात-ए-उलमा-ए-हिंद और मध्य प्रदेश के एक वकील हाजी मोहम्मद मजीद कुरेशी की याचिका; कुछ लेखकों द्वारा कन्नड़ लेखक एम एम कलबर्गि की हत्या और दादरी में गौमांस रखने की अफ़वाह से हुई हत्या जैसी सांप्रदायिक घटनाओं के खिलाफ पुरस्कार वापस कर दिए थे।
इस याचिका में कहा गया था कि प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटने की कार्रवाई से भारत की छवि खराब हुई थी।