उबर पूल मंगाई — सर्वप्रिया सांगवान #UberPool



ना जाने क्या मेरे मन में समाई जो मैंने उबर पूल मंगाई...

Sarvapriya Sangwan


...बैठे ही थे कि एक दूसरी सवारी की रिक्वेस्ट आ गयी। अब उसके घर का रास्ता ज़रा उल्टा था। फिर भी जैसे-तैसे पहुंचे और जाकर खड़े हो गए। मैंने बोला ड्राइवर साहब को कि फ़ोन कर लो पर उसने मुझे इग्नोर मार दिया। फिर 5 मिनट हुए तो मैंने पूछा कि कितनी देर इंतजार करना होता है। वो तंज में मुझसे पूछता है कि आप कबसे उबर इस्तेमाल कर रही हैं। मैंने बताया कि उबर पूल का सिस्टम नहीं पता। फिर उसने ज़रा एहसान किया और बताया कि 5 मिनट और अगले ही सेकंड चल दिया।

मैंने थोड़ा हैरान होकर कहा कि भाई, फ़ोन कर लेना था सवारी को। वो अपने होशियार होने की ग़लतफ़हमी से पैदा हुए दंभ में बोला कि फोन करना हमारा काम नहीं है। कंपनी ने कह रखा है कि ड्राइवर की मर्ज़ी है फ़ोन करे ना करे।


मैंने फिर गुस्ताख़ी की और पूछ डाला कि मर्ज़ी क्यों नहीं थी भाई तुम्हारी। बोला कि अब उसका पैसा कटेगा तो पता चलेगा। आगे से ध्यान रखेगा। मैंने पूछा कि भाई उसका तो पैसा कटेगा लेकिन तुमको तो तब पैसा मिलेगा ना जब सवारी बैठेगी। वो फिर बोला कि हमको कंपनी ने कहा है कि फोन करो ना करो।

कसम से, मन किया कि उसके दोनों कान पकड़ कर हिला दूं ताकि उसकी अक्ल का पेट्रोल किसी टंकी में पहुंच जाए और उसका दिमाग स्टार्ट हो। पर मैंने भावनाओं पर काबू पाते हुए फिर कोशिश की - पैसा उसका कटेगा, वो पैसा कंपनी को मिलेगा, तुमको क्या मिलेगा(अंडा)। तुम उसको बैठाते तो तुमको पैसा मिलता भी। एक रुपया फ़ोन का (मतलब 2 पैसे की अकड़) बचाने के लिए क्यों पैसा और वक़्त गंवाया। 15 मिनट तुमने अपने और मेरे भी गंवाए। कुछ लॉजिक तो लगाओ।

भाईसाहब उसकी टंकी में नहीं थी हवा भी और वो बोला कि हम भी लॉजिक ही लगा रहे हैं। हम क्यों करें फ़ोन। कंपनी ने हमको फलाना और ढिकाना। मैंने अपना माथा पीट लिया। बंदे को ये समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं उसके फायदे के लिए बोल रही हूँ। वो तो जैसे मुझसे ही लड़ने पर उतारू था।

मैंने फिर आराम से कहा कि हां तुमने प्रक्रिया का पालन किया, वो सही है लेकिन इससे आपका नुकसान हुआ। वो फिर भी नहीं माना और उसके बाद सारे दिन का फ्रस्ट्रेशन सुनाता रहा। 'सवारी फ़ोन करती है कहाँ हो कहाँ हो, दिमाग ख़राब हो जाता है, काम करने का मन ही नहीं रहता, हम क्यों करें फोन..कंपनी ने हमें.....

इस घटना से मेरी ही तरह आप भी अब समझ जाइये कि ऐसी ही राजनीतिक समझ भी इस देश के लोगों की है। आप उनके फायदे का बोलो, उनके नुकसान के लिए आगाह करो लेकिन वो लड़ेंगे आपसे ही। सब बंडल है।

सर्वप्रिया सांगवान की फेसबुक वॉल से
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना