अनुभवों का विशद फलक
![Shivratan Thanvi : Jag Darshan Ka Mela Shivratan Thanvi : Jag Darshan Ka Mela](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgrufi2ML75VcOyLOQ8lG9iu7q9A2l8NSTOz746SsCdYZ-FGO_MzLis0QLmP3ac8V7ZQ0oO5E6jx9IwQB9pvHTP9hF6bsKg8oDZ_KNlvsghPTbOoh3h5w9ojdfvN48OF55JF-wBey9lA3Q/s1600-rw/%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25A8-%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%2597-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25A8-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE.jpg)
कल अपराह्न तीन बजे विश्व पुस्तक मेले में श्री शिवरतन थानवी की नई किताब 'जग दर्शन का मेला' का लोकार्पण है। शिवरतन जी रोगशैया पर हैं। यों पढ़ने-लिखने में सक्रिय हैं, पर इतना चल-फिर नहीं सकते कि बाहर आ सकें। वह वैसे भी लोकार्पण आदि से कतराते हैं।
राजकमल द्वारा प्रकाशित इस किताब में उनकी डायरी के चुनिंदा पन्ने हैं। स्वयं को मूलतः शिक्षक मानने वाले श्री थानवी , शिक्षा जगत में अपने समय की दो प्रतिष्ठित पत्रिकाओं शिविरा पत्रिका और नया शिक्षक/Teacher Today के संस्थापक सम्पादक रहे हैं। वह शिक्षा विभाग में उच्च अधिकारी भी रहे।
पिता की इस पुस्तक के विषय में पुत्र ओम थानवी बताते हैं,"हमें नहीं मालूम था कि वे 1950 से डायरी लिखते आ रहे हैं। घर-परिवार और मित्रों की बात ही नहीं, राहुल सांकृत्यायन, क़ाज़ी नज़रुल इसलाम, गिजुभाई, गोर्की, जॉन होल्ट, अज्ञेय, नामवर सिंह, पाउलो फ़्रेरे, इवान इलिच, कुमार गंधर्व, बाल मुरलीकृष्णन, अजय चक्रवर्ती ... शिक्षा के साथ साहित्य, संगीत, पर्यावरण, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र आदि पर उनके अनुभवों का फलक इतना विशद है कि लगा इसका एक संचयन सामने आना चाहिए।"
'जग दर्शन का मेला' की भूमिका श्री शिवरतन थानवीजी के मित्र कविवर केदारनाथ सिंह ने लिखी है। लोकार्पण डॉ पुरुषोत्तम अग्रवाल करेंगे। मन्नू भंडारी, अशोक वाजपेयी और मंगलेश डबराल के सान्निध्य में डॉ अपूर्वानंद और बनवारी पुस्तक पर बोलेंगे।
राजकमल द्वारा प्रकाशित इस किताब में उनकी डायरी के चुनिंदा पन्ने हैं। स्वयं को मूलतः शिक्षक मानने वाले श्री थानवी , शिक्षा जगत में अपने समय की दो प्रतिष्ठित पत्रिकाओं शिविरा पत्रिका और नया शिक्षक/Teacher Today के संस्थापक सम्पादक रहे हैं। वह शिक्षा विभाग में उच्च अधिकारी भी रहे।
पिता की इस पुस्तक के विषय में पुत्र ओम थानवी बताते हैं,"हमें नहीं मालूम था कि वे 1950 से डायरी लिखते आ रहे हैं। घर-परिवार और मित्रों की बात ही नहीं, राहुल सांकृत्यायन, क़ाज़ी नज़रुल इसलाम, गिजुभाई, गोर्की, जॉन होल्ट, अज्ञेय, नामवर सिंह, पाउलो फ़्रेरे, इवान इलिच, कुमार गंधर्व, बाल मुरलीकृष्णन, अजय चक्रवर्ती ... शिक्षा के साथ साहित्य, संगीत, पर्यावरण, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र आदि पर उनके अनुभवों का फलक इतना विशद है कि लगा इसका एक संचयन सामने आना चाहिए।"
'जग दर्शन का मेला' की भूमिका श्री शिवरतन थानवीजी के मित्र कविवर केदारनाथ सिंह ने लिखी है। लोकार्पण डॉ पुरुषोत्तम अग्रवाल करेंगे। मन्नू भंडारी, अशोक वाजपेयी और मंगलेश डबराल के सान्निध्य में डॉ अपूर्वानंद और बनवारी पुस्तक पर बोलेंगे।
लोकार्पण
बृहस्पतिवार 11 जनवरी
अपराह्न 3 बजे
विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली
किताबगंज कक्ष
राजकमल प्रकाशन
हॉल 12-A
स्टॉल 247-268
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