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  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-03-2017) को "सन्नाटा पसरा गुलशन में" (चर्चा अंक-2925) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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अबकी बार बेदिल सरकार | मंत्रियों के विभाग और मंत्रियों की प्राथमिकता — अभिसार शर्मा #CBSE


बच्चे रो रहे हैं...उनकी मेहनत और प्लानिंग बर्बाद हो गई, मगर ये नाकारा सरकार हमें लोगों को बांटने वाली सियासत के रास्ते पर चलाना चाहती है...अबकी बार बेदिल सरकार...

क्या मोदी सरकार के दिल में बच्चों की फ़िक्र है ?

— अभिसार शर्मा

एक ऐसे दिन जब सीबीएससी का पेपर लीक हो गया हो और जब दसवीं के गणित और बारहवीं के अर्थशास्त्र का पेपर WhatsAPP पर आ गया हो, देश के शिक्षामंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर प्रेस कांफ्रेस करते हैं बंगाल की साम्प्रदायिक हिंसा पर।  बच्चे रो रहे हैं...उनकी मेहनत और प्लानिंग बर्बाद हो गई, मगर ये नाकारा सरकार हमें लोगों को बांटने वाली सियासत के रास्ते पर चलाना चाहती है। गज़ब की प्राथमिकता है इस सरकार की, बच्चों के आंसू भी इनके लिए मायने नहीं रखते।

यही हुआ था उस दिन जब एलओसी पर गोलाबारी में 3 मासूम बच्चे मारे गए थे (पता नहीं आप तक खबर पहुँचने पायी या नहीं) उस दिन भी रक्षा मंत्री सामने आई थीं, मगर प्राथमिकता थी राहुल गांधी पर हमला। देश को सूचना प्रसारण मंत्री भी मिला है...मैडम भी अपनी सारी ऊर्जा राहुल गांधी पर केंन्द्रित रखती हैं।

मगर क्या प्रकाश जावड़ेकरजी की इस संवेदनहीनता को किसी भी सूरत में जायज़ ठहरा सकते हैं? बच्चों के आंसू मायने रखते है आपके लिए? अगर बंगाल के दंगे मायने रखते हैं तो फिर बिहार पर खामोशी क्यों? और बिहार में तो हद ही हो गई है न? वहां पर अबतक चार-चार जिलों में दंगे भड़क चुके हैं? ऐसा पहले तो कभी नही हुआ! बिहार तो दंगों से अछूता था ना? वहां पर तो आपके मंत्री खुले आम अपनी ही सरकार यानि नीतीश सरकार की बखिया उधेड़ रहे हैं। भागलपुर से जो दंगे शुरू हुए, उसकी वजह तो मंत्री श्री अश्विनी चौबे के होनहार बेटे अर्जित थे, जिन्होंने नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए यात्रा कर डाली और नतीजा आपके सामने है .

इसी तरह बंगाल में भी जहां ममता बनर्जी सरकार की नाकामी है, ये भी तो देखिए कि आपके मंत्री कैसे कैसे बयान दे रहे हैं ?

ये हर तरफ दंगें जैसे माहौल आपको बेशक सियासी फायदा पहुंचा दें, मगर आप एक आम भारतीय परिवार के लिए कैसा माहौल कायम कर रहे हैं, बताईये? और उसी परिवार में बच्चे भी आते हैं, क्या उनकी चिंता है आपको? देश में अगर नियमित रूप से दंगे होते रहे, तो पेपर लीक होना तो दूर की बात है, पेपर हो पाएंगे? क्या इसलिए शिक्षा मंत्री होते हुए भी, आप जब देश के सामने आते हैं तो दंगों पर अपना आंशिक दर्द बयान करते हैं लेकिन ये नहीं बताते कि बिहार में आपकी पार्टी के नेता खुलेआम भड़काऊ बयान दे रहे हैं?

क्या यही वजह है कि आप इस कदर उदासीन और बेपरवाह हो गए हैं कि सीबीएससी पेपर लीक आपके लिए दोयम दर्जे की बात हो जाती है?

मेरे बच्चे, मेरा मज़हब हैं, मेरा जुनून हैं। लिहाज़ा मैं उनके बारे में बहुत इमोशनल हूं। यही वजह है कि जब मैं ऐसी सरकार देखता हूं जिसके लिए मेरे बच्चे उसकी प्राथमिकता में दूसरे नम्बर पर हैं, तो मुझे हैरत ही नहीं होती, गुस्सा भी आता है। बोर्ड की परीक्षा आसान बात नहीं जावड़ेकर साहब। आप भी जानते हैं। कम से कम दो जगहों से खबर मिली है, मेरे जानकार हैं। पेपर लीक होने की वजह से उनके बच्चों का रो रो कर बुरा हाल है। सारी की सारी प्लानिंग चौपट हो गई है। भविष्य की रूपरेखा बिगड़ गई है इन बच्चों की। कम से कम आज, देश के सामने आकर, आपको सबसे पहले और सबसे पहले ही नहीं सिर्फ इसी मुद्दे पर, उन बच्चों का हौसला बढाना चाहिए था...मगर अफसोस...इसीलिए दुखी मन से कहना पड़ रहा है: अबकी बार बेदिल सरकार!


(ये लेखक की फेसबुक वाल से लिए गए यह लेखक के अपने विचार हैं ))
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  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-03-2017) को "सन्नाटा पसरा गुलशन में" (चर्चा अंक-2925) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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