Header Ads Widget

नाटक पुनर्व्याख्या की सर्वोत्कृष्ट कला है — मनीष सिसोदिया | #भरतमुनि_रंग_उत्सव



भरतमुनि रंग उत्सव

नई दिल्ली, अक्टूबर 2019: विभिन्न भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले दिल्ली सरकार के कला और संस्कृति विभाग साहित्य कला परिषद एक नए कार्यक्रम भरतमुनि रंग उत्सव  के साथ वापस लौट आया है। उत्सव का आयोजन 21 और 22 अक्टूबर 2019 को कॉपरनिक्स मार्ग स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में किया जाएगा।

साहित्य कला परिषद इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन नाट्य कला के प्रति खो चुकी संवेदनशीलता को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से कर रही है। प्रत्येक दिन 4 एकल / समूह प्रस्तुतियां दी जाएंगी।



दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस उत्सव पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “नाटक पुनर्व्याख्या की सर्वोत्कृष्ट कला है और इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि हमारे पास कई प्रतिभाशाली कलाकार हैं, जो नाटकीय प्रस्तुतियों को बढ़ावा देने के लिए इतने बड़े मंच पर एक साथ आ रहे हैं। यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसे दिल्ली के दर्शकों को आकर जरूर देखना चाहिए।

पहले दिन, कलाकार अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को सामाजिक संदेशों देते नजर आएंगे। अपर्णा जो अपनी कालांतर नामक प्रस्तुति देंगी। इस प्रस्तुति के माध्यम से वह समाज के चेहरे और महिलाओं के साथ युगों-युगों चले आ रहे व्यवहार को दर्शकों के सामने रखेंगी।
                                                                           
वह आज की आधुनिक युग की महिलाओं और महाभारत की द्रौपदी और गांधारी के बीच समानताएं दिखाती हैं। इस प्रस्तुति के बाद सुशील शर्मा अपना नाटक जहर पेश करेंगे, जिसे पंकज सोनी ने लिखा है। इस नाटक की कहानी एक आधुनिक युग के पति-पत्नी और उनके रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समय के साथ विभिन्न संघर्षों को सामना करते हैं। शाम के समय चंद्रा शेखर शर्मा 'प्रेम परिंदे' नाटक प्रस्तुत करेंगे। उनके द्वारा लिखित और निर्देशित यह नाटक 21 वीं सदी के प्रेमी जोड़े के बारे में है, जो कई परिस्थितियों से गुजरते हैं। यह परिस्थितियां उन्हें प्यार के विभिन्न पहलुओं के बारे में सोचने के लिए मजबूर करती हैं। दिन की आखरी प्रस्तुति हिम्मत सिंह नेगी द्वारा दुकाणी के साथ समाप्त होगी।

दूसरे दिन की प्रस्तुतियां भी दिल्चस्प और दर्शकों को संदेश देने वाली होंगी। पहली प्रस्तुति सतप्रकाश की है जो रामायण का मंचन करते दिखाई देंगे। इसके बाद वशिष्ठ उपाध्याय की 'आओ तनिक प्रेम करे' का प्रदर्शन होगा। यह कहानी सभी के जीवन में प्यार के महत्व को दर्शाती है। यह नाटक एक विवाहित जोड़े के बारे में है, जो प्रत्येक कार्य को अपनी जिम्मेदारी के रूप में लेते हैं, यहां तक कि अपने रिश्ते को भी एक जिम्मेदारी मानते हैं। 60 वर्ष की आयु में, पति को पता चलता है कि उसने कभी अपनी जिंदगी से प्यार नहीं किया। इस संदेश के साथ शाम प्रसून नरेन - वैष्णवी फिस्लान द्वारा एक और दिलचस्प नाटक की प्रस्तुति होगी। नाटक में समाज में प्रचलित धार्मिक पाखंड को दर्शाया गया है। दो दिवसीय कार्यक्रम का अंत विजय सिंह के शाहिदसाज नाटक के साथ होगा। यह नाटक एक व्यापारी के बारे में है जो विभाजन के बाद लाभ कमाने के लिए पाकिस्तान में बसता है। वहां पहुंचने पर वह बदमाशी से पैसा बनाता है, लेकिन उसे शांति नहीं मिलती है। अंत में, उसे पता चलता है कि शांति शहादत में है।

००००००००००००००००







एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

ठण्डी चाय: संदीप तोमर की भावनात्मक कहानी
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
बंद गली का आखिरी मकान, देवेंद्र राज अंकुर और कहानी के रंगमंच की स्वर्ण जयंती
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना