जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल — पुनर्योजित, जानिए अब कब होगा ? | Jaipur Literature Festival 2022



जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन अब 5 से 14 मार्च 2022 को किया जायेगा

ऑन ग्राउंड प्रोग्राम का आयोजन 10 से 14 मार्च को क्लार्क्स आमेर में होगा

प्रतिष्ठित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रडूसर, टीमवर्क आर्ट्स ने फेस्टिवल के 15वें संस्करण को पुनर्योजित करने की घोषणा की। पहले यह फेस्टिवल जनवरी के अंत में आयोजित होने वाला था, लेकिन अब इसका आयोजन 5 मार्च से 14 मार्च 2022 के बीच किया जायेगा। 

फेस्टिवल आयोजन के दौरान केंद्र और राजस्थान सरकार द्वारा लागू किये गए कोविड-19 के सभी नियमों का पालन किया जायेगा। 

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल प्रडूसर, टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने कहा, 

नए वेरिएंट और देशभर में इसके तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए, फेस्टिवल को मार्च 2022 में पुनर्योजित किया जाना उचित होगा। हम फेस्टिवल को ऑन-ग्राउंड लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहाँ विचारों और भावों के उसी प्रवाह को श्रोता महसूस कर पाएँगे।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल इस साल फिर से गुलाबी नगरी, जयपुर में लौटेगा, लेकिन अपने हाईब्रिड अवतार में। ये फेस्टिवल ऑनलाइन और ऑफ लाइन, दोनों ही रूपों में श्रोताओं के लिए उपस्थित रहेगा। हाईब्रिड अवतार में ये ज्यादा से ज्यादा श्रोताओं तक, साहित्यप्रेमियों तक पहुँच बना पायेगा, जहाँ देश आदि की सीमा नहीं होगी। 

फेस्टिवल के ऑनलाइन एडिशन का रजिस्ट्रेशन सबके लिए मुफ्त है। ऑन-ग्राउंड एडिशन में भाग लेने के लिए 200/- रुपये प्रतिदिन का रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होगा।  


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari
ऐ लड़की: एक बुजुर्ग पर आधुनिकतम स्त्री की कहानी — कविता
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
समीक्षा: माधव हाड़ा की किताब 'सौनें काट न लागै  - मीरां पद संचयन'  — मोहम्मद हुसैन डायर | MEERAN PAD SANCHAYAN
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani