मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए डॉ. एल.जे भागिया ‘ख़ामोश’ की ग़ज़ल मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए…
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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