लड़कियाँ मछलियाँ नहीं होतीं प्रज्ञा पाण्डेय उसने एक पुरानी डायरी में वक़्त की किसी तारीख से हारकर ऐसा लिखा था । नज़र पड़ी 25 सितम्बर 1978 ।…
आगे पढ़ें »संयुक्त, बड़े परिवारों में स्त्रियां अपने एकमात्र बहुमूल्य जीवन की आहुति दे देतीं हैं। मेरे पिता अक्सर कहा करते थे कि लड़की का ब्याह जितने ही ऊंचे घ…
आगे पढ़ें »अभी आयी ख़बर के अनुसार वर्ष 2014 के प्रतिष्ठित 'आनंद सागर कथाक्रम सम्मान' वरिष्ठ लेखिका नासिरा शर्मा को मिल रहा है. शब्दांकन परि…
आगे पढ़ें »अनजाने पते प्रज्ञा पाण्डेय कहीं दीप जले कहीं दिल। ---- ज़रा देख ले आके ओ परवाने , तेरी कौन सी है मंजिल ' गीत का अर्थ समझते घर पहुंचते-पहुंचत…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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