भारतीय गांव और उपन्यास का नॉर्मेटिव स्पेस — डॉ. कविता राजन
आगे पढ़ें »समीक्षा आवां: उपभोक्ता समाज का चक्रव्यूह-भेदन डॉ० कविता राजन बीसवीं सदी के अंतिम वर्ष में पूर्ण महाकाव्यात्मक व्याप्ति के साथ प्रस्तुत यह स्वातं…
आगे पढ़ें »साहित्यकार और क्या करे, मृदुला गर्गजी ने कहानी के माध्यम से चेताया...नहीं चेते, अब सुमन केशरी दीदी कहानी के अपने पाठ से उपजी विवेचना से चेता रही ह…
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