कहानी बनाना रिपब्लिक शिवमूर्ति ठाकुर के दालान से निकला तो उसका दिल धाड़-धाड़ कर रहा था। इतनी खुशी वह कैसे सँभाले? कहाँ रखे? घुप्प अँधे…
कहानी बनाना रिपब्लिक (भाग-२) शिवमूर्ति बिल्कुल। जिसका वोट मिलने की उम्मीद न हो उनको भी। भाई, हम अपनी ओर से क्यों मान लें कि कोई हमें …
कहानी बनाना रिपब्लिक (भाग-३) शिवमूर्ति सातवीं क्लास में सुलताना उसके बगल वाले टाट पर दरवाजे के पास बैठती थी। आते जाते वह उसकी समीज क…