कहानी
फ़्लर्टिंग मेनिया
इरा टाक
विक्रांत ने सुबह जैसे ही अपना फेसबुक ओन किया, उसे शिवाली का मैसेज मिला... शिवाली अभी १५ दिन पहले ही फेसबुक पर उसकी दोस्त बनी थी। प्रोफाइल के मुताबिक वो २१ साल की लड़की थी, जो उसके ही शहर के इंजीनिरिंग कॉलेज में फाइनल सेमिस्टर में पढ़ रही थी। देखने में बड़ी खूबसूरत दिखती थी।

जयपुर की इरा टाक स्वप्रशिक्षित कलाकार, लेखिका कवि हैं। BSc., MA (history) PG (Mass comm) शिक्षित इरा ने करियर की शुरुआत टीवी पत्रकारिता से की पर मन कुछ अलग खोज रहा था। यही तलाश उन्हें रंगों और शब्दों के समंदर की और खींच लाई 2011 से अब तक 5 एकल शो और कई ग्रुप शो में हिस्सा ले चुकी हैं. 2013-14 की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में इनकी पेंटिंग Bonding का चयन भी हो चुका है. इरा टाक के दो काव्य संग्रह 'अनछुआ ख्वाव' और 'मेरे प्रिय' प्रकाशित हुए हैं साथ ही कई पत्र पत्रिकाओ और ब्लोग्स में कहानियां और कवितायेँ सतत प्रकाशित होती रहती हैं. 35 से ज्यादा किताबों पर इनकी पेंटिंग्स कवर के रूप में प्रकाशित हो चुकी हैं. चित्रकारी के साथ-साथ एक उपन्यास लिखने में मशगूल इरा का एक कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन है.
संपर्क: 50/26, "सौभाग्य" प्रताप नगर, संगनेर,
जयपुर
Mobile: 09460407240
email: eratak13march@gmail.com
शिवाली: हाइ ! डिअर गुड मॉर्निंग...!
विक्रांत ने जवाब लिखा : गुड मॉर्निंग स्वीटू !
शिवाली : कितनी देर तक सोते हो... 10 बजने वाले हैं
विक्रांत : सारी रात तुम्हे मिस जो करता रहा ! ... नींद देर से आई
शिवाली : सच में...?
विक्रांत : और क्या ! ... अपना नंबर दो न यार, कितनी बार मांग चुका हूँ। मैं कोई आवारा लड़का थोड़े ही हूँ, जो इतना डरती हो, अच्छी साख है मेरी, 8 किताबे आ चुकी हैं मार्किट मे !
शिवाली: लेखकों से डर लगता है... बड़े फ़्लर्ट होते हैं... मेरा दिल टूट गया तो ?
विक्रांत : पहले दिल तो दो... यकीन मानो टूटने नहीं देंगे !
शिवाली : ओके... कहते हो तो मान लेती हूँ... मिलोगे आज ? पहले जान लूँ... फिर नंबर दूंगी
विक्रांत :वाओ... बोलो कब और कहाँ ?
शिवाली :सीसीडी ... गौरव टावर शाम 5 बजे... लेट मत होना... शार्प 5
विक्रांत : ओके... डिअर... डन ! ... नाउ गिव मी अ टाइट हग !
शिवाली:वो तो मिलोगे जब दूंगी... बाय
विक्रांत के खून का दौरा थोड़ा बढ़ गया... दिल थोड़ा तेजी से जो से धड़कने लगा था
“ बड़ी बोल्ड है यार ! ... आज तो दिन बन गया “ सोचते हुए वो चाय बनाने किचन की ओर बढ़ गया
आज ऑफिस में बहुत काम था। एक दो विज्ञापन लिखने का भी कॉन्ट्रैक्ट मिला था, बार बार घडी पर नज़र जाती, आज घडी सुस्त है क्या ? मोबाइल पर टाइम चेक करता है, घडी तो ठीक है !
तभी उसका मोबाइल बजा पूजा का फ़ोन था, पूजा आजकल उसकी गर्ल फ्रेंड है, शहर के बड़े अखबार में जर्नलिस्ट है।
“ सुबह से दो बार फ़ोन कर चुकी... उठाया क्यों नहीं... न कॉल बैक किया “
“ यार थोड़ा बिजी था... करने ही वाला था कि तुम्हारा... फ़ोन आ गया “
“ कभी तो मुझे लगता है कि मैं ही तुम्हे प्यार करती हूँ, तुम्हे तो कोई मतलब ही नहीं “ पूजा ने चिड़चिड़ाते हुए कहा
“ फिर वही बात... अरे यार ! काम तो करना ही होगा न ! सारे दिन तुमसे रोमांस तो नहीं कर सकता, ऐसा है, तो प्यार है, ऐसा नहीं है, तो प्यार नहीं है... “
“ ठीक है... आई लव यू ! मिलोगे शाम को... बहुत याद आ रही है... ४ दिन हो गए “
“ ४ दिन ही तो हुए हैं... आज बहुत काम है... मीटिंग्स हैं... संडे को देखते है... बाय “
पूजा बड़ी प्यारी और खूबसूरत लड़की थी, पर विक्रांत को रोक टोक पसंद नहीं थी, वो खुद भी पूजा को कभी नहीं रोकता है। चाहे वो जैसे रहे... जिससे बात करे... कई बार वो चिड़ के कह भी देता था
“ प्लीज पूजा... आई वांट स्पेस ! ... मुझे घुटन होती है “
“ घुटन ! ... मिलते ही कितना हो ? वक़्त कहाँ देते हो मुझे ? अगर स्पेस चाहिए, तो अलग हो जाओ... एंड एन्जॉय योर स्पेस ! ... प्यार में तो साथ चाहिए होता है, स्पेस नहीं... ।”
ऐसे ही हफ्ते -दस दिन में उनकी भयंकर लड़ाई होती और फिर सुलह हो जाती। ऐसे करते- करते 1 साल निकल गया था।
पूजा विक्रांत को बहुत प्यार करती थी, उसके प्यार को देखते हुए विक्रांत हमेशा आश्वस्त रहता था। उसके घर वाले लगातार शादी को ज़ोर दे रहे थे पर वो विक्रांत के अलावा किसी से शादी को सोच नहीं सकती थी। हालांकि उसके दोस्त और सर्किल में विक्रांत की खडूस आदमी की इमेज बनी हुई थी। अक्सर पूजा को समझाया जाता कि वो विक्रांत के साथ अपना टाइम खराब कर रही है, वो हस्बैंड टाइप मटेरियल है ही नहीं ! ... कइयों के साथ फ़्लर्ट कर चुका है। पर जब इंसान प्यार में अँधा होता है तब उसे कुछ दिखाई नहीं देता।
पूजा विक्रांत से शादी को कहती, तो वह टाल देता “ यार अभी मुझे अच्छे से सेट होने दो... साथ तो हूँ न... अभी भरोसा नहीं है तो, शादी के बाद भी नहीं होगा... “
थोड़ी बहुत कहा सुनी होती, फिर दो चार दिन में सब नार्मल हो जाता
विक्रांत कई सालों से अकेला रहता था, उसके माता पिता दूसरे शहर में थे। हमेशा आज़ाद घूमने वाले को २ पल की कैद भी बुरी लगती है, अपने हिसाब से सोना-जागना, खाना- पीना, किसी तरह की कोई फ़िक्र या ज़िम्मेदारी भी नहीं., बस कमाओ, उड़ाओ।
पूजा शहर में सबसे ज़्यादा डिसइरेबल थी, उसके साथ होना फक्र की बात थी, जबकि उसके पीछे शहर के आधे जर्नलिस्ट और एडिटर्स थे... पर पूजा ने उसे चुना था। पूजा के साथ होना उसे अच्छा लगता था, पर अपनी सहूलियत के दायरे में, और शायद इसी वजह से दोनों में बहुत खट पट होती, जहाँ पूजा उसके लिए दिलो जान से समर्पित थी, वही वो उसे अक्सर फॉर ग्रांटेड लेता था। वो ज़िम्मेदारी से बचता था... बंधना नहीं चाहता था।
विक्रांत जल्दी जल्दी काम निपटाने में लगा था, आज उसे लेट नहीं होना है। भले ही पूजा को आधे एक घंटे इंतज़ार करा ले, पर शिवाली को आधा मिनट भी नही, आखिर फर्स्ट इम्प्रैशन इस द लास्ट इम्प्रैशन !
गौरव टावर उसके ऑफिस से ज़्यादा दूर नहीं था। साढ़े चार बजते ही उसने सीट छोड़ दी, बाहर निकला ही था कि ऑफिस के गेट पर एक पुराना दोस्त मिल गया, ६ महीने पहले ही मुंबई शिफ्ट हुआ है, फिल्मो में छोटे मोटे रोल कर रहा है, थोड़ा पैसा कमाने लगा है, जब भी जयपुर आता है, हर बार ये ज़रूर कहता है “ यार फ्लाइट लेट थी “ ।
विक्रांत को उसे देख बड़ी कोफ़्त होती थी... उसने विक्रांत को बड़े ज़ोर से गले लगा लिया
विक्रांत को लगा जैसे ये मुंबई से वापस, उसे गला घोट के मारने ही आया है उसके नाम की सुपारी लेकर !
“ आओ विक्रांत भाई ज़रा कॉफ़ी पीतें हैं ! तुमसे ख़ास काम भी है, मैं तो दोपहर में ही आ जाता... पर फ्लाइट लेट हो गयी “
“ बिना काम कभी आते हो तुम...? “ साला फेकू ! पिओन छोटेलाल ने कल ही तुझे गरीब रथ से उतरते देखा था ! विक्रांत मन में बड़बड़ाया
“ अभी तो मुझे एक बहुत ज़रूरी काम से जाना है .... भाई ! शाम को मिलते हैं, कुछ गला तर हो, तो बात बने... फ्लाइट से आते जाते हो और मुझे हमेशा कॉफ़ी में टरका देते हो... “ विक्रांत बोला
“ हाँ हाँ... क्यों नहीं... फ़ोन करता हूँ शाम को “
जैसे तैसे उससे पीछा छुड़ा के विक्रांत ने बाइक स्टार्ट की... साइड मिरर में देखा तो शर्ट डेट पर जाने के लिहाज़ से थोड़ी फीकी नज़र आ रही थी। उसने तुरंत ऑफिस के पास एक शॉपिंग मॉल की तरफ बाइक घुमा ली। एंट्री पर ही पीटर इंग्लैंड का शोरूम था, जल्दी बाज़ी में चेक वाली गुलाबी शर्ट पसंद की, वहीँ चेंजिंग रूम में चेंज किया, जेब से कंघा निकाल कर अपनी जुल्फे सेट की। शीशे में देख कर थोड़ा स्टाइल मारने का अभ्यास किया
“ स्मार्ट लग रहा है... यार... वो २१ की है तो तू भी २६ से ज़्यादा का नहीं लग रहा... “ कहते हुए उसने खुद को आँख मारी
घडी पर नज़र पड़ते ही वो घबरा गया केवल ५ मिनट बचे थे ५ बजने में, पेमेंट कर कर के उसने बाइक दौड़ा दी। .
“ शर्ट बड़ी महंगी है यार विक्रांत ! ... आज पता चला, जब खुद पेमेंट करना पड़ा... जब से पूजा ज़िन्दगी में आई है, हर २०-२५ दिन में एक ब्रांडेड शर्ट गिफ्ट करती है... बड़ा दिल है बेचारी का ! “ सोचते हुए वो मुस्करा दिया
५ बज के ५ मिनट पर वो सीसीडी में हांफता हुआ दाखिल हुआ। ३-४ जोड़े बैठे हुए थे, कोई भी अकेली लड़की नज़र नहीं आई।
“ थैंक गॉड ! मैं लेट नहीं हुआ “
साइड में रखे एक सोफे पर सज के बैठ गया और एक बार फिर अपनी नज़र दौड़ाई
एक लेखक टाइप का लगने वाला बुड्ढ़ा आदमी अकेला बैठा कॉफ़ी पी रहा था, विक्रांत ये सोच के सहम गया कि कहीं ये ही तो नही, जो फेक अकाउंट बना के मजे लेता हो ! थोड़ी देर में एक खूबसूरत लड़की मुस्कराती हुई आई और बुड्ढे से हाथ मिला कर बैठ गयी।
“ साला बुड्ढ़ा... क्या किस्मत है ! भजन कीर्तन की उम्र में सीसीडी में डेटिंग कर रहा है “
सवा पांच हो गए थे, तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ मारा... पलट के देखा तो शब्द मुँह में और रक्त शिराओं में जम गया ! पूजा थी उसकी गर्ल फ्रेंड
“ अरे विक्रांत... तुम यहाँ कैसे ...? तुम्हारी तो मीटिंग थी न... आजकल मीटिंग्स सीसीडी में होने लगी हैं . “
“ हाँ... हाँ ... वो... वो क्लाइंट ने यही बुला लिया... एक एड फिल्म की स्क्रिप्ट डिसकस करनी थी “ ... बड़ी कोशिशों के बाद मुँह से कुछ बोल पिघले
पूजा अपनी दोस्त विजया के साथ थी... विक्रांत को विजया फूटी आँख नहीं सुहाती थी... पूजा तो सीधी थी, उसकी बातों में आ जाती पर विजया हमेशा पूजा को पट्टी पढ़ाती रहती थी
“ मैं तो विजया के साथ शॉपिंग पर आई थी... अच्छा हुआ तुम मिल गए... जब तक तुम्हारा क्लाइंट नहीं आता हम साथ में कॉफ़ी पी लेते हैं “
“ हेलो जी ...! विक्रांत जी ...! की हाल है त्वडा “ विजया बोल पड़ी
पंजाबी अक्सर वो तब बोलती थी, जब उसके पास अपराधी के खिलाफ ठोस सबूत होता था...!
उसने फीकी सी मुस्कान फेंकी... मन में तो वो बहुत डरा हुआ था, सही कहते हैं लोग, बुरे काम का बुरा नतीजा ...
“ यार इनको भी शॉपिंग को यही आना था... क्या करूँ...? अगर शिवाली आ गयी तो ऐसी की तैसी हो जाएगी... और आज तो विजया भी साथ है... ३ ब्रेकअप कर चुकी है... लड़ने में एक्सपर्ट है... आज तो मुझे स्वयं ब्रह्मा भी नहीं बचा सकते... मुझे यहाँ से जाना चाहिए “ विक्रांत का दिमाग फुल स्पीड ब्रॉडबैंड की तरह दौड़ रहा था।
“ डिअर... मैं एक बार क्लाइंट को फ़ोन कर लूँ “ विक्रांत ने धीमे से पूजा का हाथ दबाया
“ हाँ... आप आये नहीं अभी तक... मैं तो वेट... “ कहते हुए वो सोफे से उठा और थोड़ी दूर जाके बात करने लगा।
वापस लौटे हुए बोला “ आई आम सॉरी यार मुझे जाना होगा... उनके ऑफिस में ही डिसकस करेंगे... तुम कॉफ़ी पिओ... मैं पे कर देता हूँ “
“ ओह्हो ये तो बड़ा बुरा किया शिवाली ने मीटिंग कैंसिल कर दी ! “ कहते हुए विजया बड़ी ज़ोर से हंसी
पूजा का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था ...!
“ विक्रांत... मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि तुम इतने बड़े फ़्लर्ट और झूठे इंसान होगे ! मेरे लिए तुम्हारे पास टाइम नहीं और २०-२१ साल की लड़कियों से फ्लिर्टिंग करते हो, छुप छुप के मिलने आते हो... हाउ डेयर ! यू चीट मी... “ उसकी आँखों से आंसू टपक पड़े
आस पास के लोग अपनी कॉफ़ी पर ज़्यादा इनकी बातों पर ज़्यादा ध्यान देने लगे थे, माहौल लगातार गरम होता जा रहा था।
“ सुनो... पूजा...! ऐसा कुछ नहीं, आओ यहाँ से बाहर चलते हैं, तमाशा मत करो... प्लीज ! लोग देख रहे हैं ! “ विक्रांत गिड़गिड़ाया
“ तमाशा ! ... ओये तू जो किता है, वो के है...! ड्रामेबाज ! “ विजया बीच में कूद पड़ी
पूजा गुस्से में उठ खड़ी हुई और दनदनाती हुई सीसीडी से बाहर निकल गयी, विजया और विक्रांत ने उसे फॉलो किया
“ पूजा ऐसा कुछ नहीं है डिअर... आई लव यू...! शिवाली से मेरी काम से सिलसिले में मीटिंग थी “
“ टाइट हग वाली मीटिंग...? मैं ही हूँ शिवली ! जो तुमसे १५ दिन से चैटिंग कर रही हूँ, सब कहते थे पर मैंने सिर्फ तुम्हारा विश्वास किया... और तुमने साबित कर दिया कि तुम वही हो, जो लोग तुम्हारे बारे में कहते थे...! “
“ यार... प्लीज तुम ओवर रियेक्ट कर रही हो... मैं एक राइटर हूँ और लोगो की मानसिकता जानने के लिए मैं हल्का फुल्का मज़ाक... बातचीत करता हूँ... इसका मतलब ये नहीं कि मैं धोखेबाज हूँ... ये मेरे प्रोफेशन की डिमांड है ! “
“ अच्छा... मुझे तो आज पहली बार पता चला कि फ़्लर्टिंग भी किसी प्रोफेशन की डिमांड होती है ...! आज हग मांग रहे हो... कल बिस्तर में जा घुसोगे...? मैं अब तुम्हारे साथ एक पल नहीं रह सकती “
“ प्यार में कभी छुपाया नहीं जाता, हमेशा तुमने मुझे झूठ बोला, छुपाता वही है जिसको डर होता है और डरता वही है जो गलत करता है... रिश्ते वही चलते हैं जिनमे ट्रांसपरेन्सी हो “ पूजा रोते हुए बोली
“ तुम्हारे पास तो प्यार की हमेशा एक नयी परिभाषा रहती है... मैंने पहले ही दिन कह कह दिया था कि फेसबुक कभी हमारे रिलेशन के बीच नहीं आएगा... मैं बस आज के युवाओ की मेंटलिटी जानने को... ... ... “
“ मैं तो अब आई हूँ, पिछले ४ साल से तुम फेसबुक पर फ़्लर्ट ही कर रहे थे... क्या ४ साल काफी नहीं होते, मेंटलिटी जानने को...? ? ? बड़े राइटर बनते हो... उन्ही एक्सपेरिएंस को तोड़ मरोड़ के लिखते रहो... या उम्र भर फ़्लर्टिंग ही करोगे...? खैर जो करना है करो, मुझे क्या... , जो होना था हो गया... पर देखना तुम कभी सुखी नहीं रहोगे...! जो एक अच्छा इंसान न हुआ वो अच्छा राइटर कैसे होगा...! “
“ सुनो तो... “
“ चुप करो ...! इसलिए मुझे देखते ही अपना फेसबुक ऑफ कर लेते थे, रात २ बजे तक ऑनलाइन रहते हो, तुमने क्या सोचा ये तो अंधी है और अंधी बनी रहेगी... । अच्छा हुआ मैंने विजया की बात सुनी... और देखो तुम्हारा सारा सच आज मेरे सामने है ...! इट स आल ओवर ! विक्रांत ...! आई हेट यू... यू हेव बिट्राएड मी ! “
पूजा ने रोते हुए कार का दरवाज़ा भड़ाक से बंद किया और कार स्टार्ट कर दी
फिर कार का शीशा नीचे कर के बोली...
“ एंड डोंट यू डेयर टू कॉल मी एवर ...! अभी तो तुम्हारे सारे दोस्तों को तुम्हारा सच बताउंगी... बड़े देवता बने फिरते हो न... सूरत इतनी भोली और काम... खैर बताने से भी क्या होगा, बदनामी तो मेरी ही है न ! “
विक्रांत ने इधर उधर देखा, वो कई लोगो की तीखी नज़रो के निशाने पर था, उसने बाइक स्टार्ट की और वापस ऑफिस की तरफ मुड़ गया। उसने कभी सोचा नहीं था कि ये फ़्लर्टिंग मेनिया उसे इतना महंगा पड़ जायेगा। आज बड़ी बेइज़्ज़ती हुई सबके सामने, कल ऑफिस तक भी खबर आ जाएगी, गौरव टावर में वैसे ही बहुत भीड़ रहती है पता नहीं कितने जानने वालो ने देखा होगा। वो पूजा को जानता था, गुस्से में वो वक़्त हालात, और जगह सब भूल जाती थी और कई कई बार सड़क पर ही रोने चीखने चिल्लाने लगती थी। इस बार तो वाकई उसने गलती की थी
“ खैर ! छोड़ो एक दो दिन में अपने आप ठीक हो जाएगी “
रात तक पूजा का कोई फ़ोन नहीं आया। विक्रांत ने फेसबुक पर जा कर देखा तो पूजा नज़र नहीं आई, शायद उसने ब्लॉक कर दिया होगा। चोरी छुपे चाहे जो कर लो पर अपराधी वही होता है जो पकड़ा जाये ! उसका मन दुखी था, आज वाकई उसे अपराधबोध हो रहा था।
एक बार पूजा को फ़ोन मिलाया तो उसने काट दिया, दुबारा हिम्मत नहीं हुई। सारी रात बैचनी में फ़ोन की स्क्रीन देखते हुए कट गयी
सुबह थोड़ी आँख लगी तो दरवाज़े पर हुई खटखटाहट ने जगा दिया वो झटके से उठा
“ शायद पूजा होगी ! “
अक्सर लड़ाई के बाद वो सुबह सुबह सॉरी बोलने आ जाती थी। देखा तो उसका दोस्त विमलेश था, दोनों एक ही कसबे से थे और १२ वी दोनों ने साथ ही की थी।
“ गुड मॉर्निगं यार... बहुत दिन से मिला नहीं तो सोचा आ जाऊं... कल गांव जा रहा हूँ, १० दिन के लिए... कुछ मरम्म्त वगैरह करनी है, बहन की शादी पास आ रही है... ... चाय तो पिला “
“ दूध लाता हूँ अभी “
चाय पीते हुए विमलेश दुनिया जहान की बातें करता रहा पर आज जैसे विक्रांत तो कहीं और ही खोया हुआ था। इतनी उदासी उसने अपने भीतर कभी महसूस नहीं की थी, जैसे उसे बुरी तरह जकड लिया हो और उसे एक एक सांस लेने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही हो।
“ क्या बात है... कुछ परेशान दिखा रहा है... तबियत ठीक है ? “ विमलेश ने चिंतित सा दिखने की कोशिश की
“ हाँ... बस काम ज़्यादा था तो नींद पूरी नहीं हुई... थोड़ा सर दर्द है “
“ अच्छा ! तू थोड़ा सो ले... घर कुछ भेजना हो तो शाम तक बता देना “
वो फिर पसर गया... आज खाना बनाने वाली भी नहीं आई, १२ बजे तक यूँ ही पड़ा पड़ा छत देखता रहा। एक फ़ोन बजा ! झटके से मोबाइल उठा के देखा... पर स्क्रीन पर ऑफिस लिखा देख के मायूस हो गया
“ आज तबियत ठीक नहीं... आ नहीं पाउगा... हाँ मैं मेल कर देता हूँ थोड़ी देर में “
वो फिर लेट गया, कितनी ही लड़कियां उसके जीवन में आई और गयी, कुछ की तो अब उसे शक्ल भी याद नहीं आती... कुछ दिन... साल... स्मृति से ऐसे लोप हो जाते हैं... जैसे कभी थे ही नहीं...! कोई याद भी दिलाये तो याद नहीं आते और आते भी है तो बहुत धुंधले ! पर पिछले साल का बीता हर दिन उसे आज याद आ रहा था... उसने सोचा भी नहीं था कि पूजा उसकी स्मृति में इतना गहरी बसी हुई है !
जब पूजा उसे याद दिलाती थी कि “ तुमने मुझे पहली बार तब छुआ था... ऐसे पहली बार किस किया था... “
तो वो इरिटेट हो जाता था... “ क्या एक ही बात बार बार... “
पर आज वो समझ पाया कि वो हर लम्हा उसके प्यार में जीती थी, महसूस करती थी...!
प्रेम एक अदृश्य ऊर्जा की तरह होता है... सिर्फ महसूस होता है और हमारी आदत बन जाता है... हम में से कुछ लोग उस ऊर्जा के प्रति अपना ग्रेटिटूड शो नहीं करते और जब वो ऊर्जा हमे मिलनी बंद हो जाती है तो हम छटपटाने लगते हैं... तब हमे अहसास होता है कि हमारे जीवन में बहुत कुछ अच्छा केवल उस ऊर्जा की वजह से ही था...
आज वो इस बात को महसूस करके बेहद तकलीफ में था... छटपटा रहा था !
“ मैंने हमेशा ही उसे इग्नोर किया, जब अपनी सहूलियत और मन हुआ तो वक़्त दिया। सच ही तो हैं अगर वो ऐसे किसी लड़के से अंतरंग हो कर बातें करती और मिलने जाती तो क्या मैं उसे माफ़ कर पाता ? पूजा की नाराजगी जायज है, पर क्या ये रिश्ता अब हमेशा को टूट गया ? क्या वो मुझे आखिरी बार माफ़ नहीं करेगी ? “
इतने सवाल और पछतावा कि वजन से उसका सर चकराने लगा... रात से कुछ खाया भी नहीं था। हिम्मत कर के पूजा को फ़ोन लगाया
उसने नहीं उठाया। थोड़ी देर सोचा और फिर sms किया
“ मेरा एक्सीडेंट हो गया है “
कोई जवाब नहीं आया।
जो लड़की उसे बुखार होने पर २५ किलोमीटर भागे आती थी... साथ में जूस फल और न जाने क्या क्या ले आती, उसके लिए चाय दूध बनाती... और कहती “ अब आराम करो... मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली है, अब मैं यही बैठ के किताब पढ़ती हूँ, तुम्हारे साथ होना मुझे बहुत अच्छा लगता है”
“ और फिर मैं २-३ घंटे सो जाता... जब उठता तो काफी हल्का महसूस करता था... सच उसके होने में ही जादू था। और आज उसे मेरे एक्सीडेंट की खबर से भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा .शायद बहुत नाराज है ! “
एक बार और फ़ोन मिलाया...
इस बार फ़ोन उठा लिया गया
“ हेलो पूजा पूजा...! “
“ एक्सीडेंट हो गया तो मैं क्या करूँ...? मर जाते तो मुझे ज़्यादा ख़ुशी होती ...! बुला लो उन्ही में से किसी एक को जिनके साथ फेसबुक पर आशिक़ी करते हो... और प्लीज मुझे अब दोबारा फ़ोन मत करना, जिस तरह तुमने मेरा दिल तोडा है... उसके बाद मुझे संभलने में वक़्त लगेगा... मेरा विश्वास किरचे- किरचे हो गया... अब उम्र भर मेरी रगो में ये किरचे दौड़ेगी... तकलीफ देती हुई ! “
वो कुछ बोल पाता इससे पहले उसने फोन काट दिया।
“ लड़ती -सुनाती भी शायराना अंदाज़ में है ! “ सोच के उसके होठों पर हँसी तैर गयी, पर जल्दी ही उसे अहसास हुआ कि उसका तो ब्रेकअप हो गया है तो उसने फिर उदासी की चादर ओढ़ ली।
पूजा की आवाज़ सुन के थोड़ा आराम महसूस हुआ तो उठ के नहाने गया। नहा के कपडे ढूंढने लगा तो गहरे हरे रंग की टी -शर्ट हाथ आई... ये भी पूजा ने ही दी थी, पूजा हमेशा कहती थी “ इतना प्यार कोई नहीं करेगा... “
“ सच तो कहती थी... मैंने तो उसे एक साल में एक फूल तक नहीं दिया “
अब उस खुद पर बेहद गुस्सा आ रहा था। इंसान की ये फितरत होती है, जब तक उसे उसकी गलतियां गिनाओ वो चिढ़ता है और जब उसे उसकी गलतियों के साथ अकेला छोड़ दो, तो कुछ समय में उसे खुद ब खुद अपनी गलतियों का अहसास हो जाता है, जो समझदार होते हैं उन्हें जल्दी हो जाता है और वो सब संभाल लेते हैं और जो मगरूर होते हैं, उन्हें वक़्त समझा देता है हमेशा को अकेला कर के !
इस मामले में विक्रांत वाकई समझदार था कि उसे एक दिन में ही अपनी भूल का अहसास हो गया। उसने फिर sms किया
“ चाहे गालियां दे लो... पर यूँ रिश्ता न तोड़ो, मैं नहीं जी पाउँगा तुम्हारे बिना... आई रियली लव यू ! '
कोई जवाब नहीं आया .ये वही पूजा थी जो उसके एक sms पर जवाब में sms की झड़ी लगा देती थी !
“ वाकई ये तो ब्रेकअप ही हो गया लगता है... क्या करूँ ? राजेश से सलाह लेता हूँ “
राजेश उसका जिगरी दोस्त था, खुद का बिजनस था, बीवी बच्चों वाला शरीफ आदमी था, वो हमेशा उसे समझाता था “ यार उम्र बढ़ रही है शादी ब्याह कर ले... कब तक यूँ इधर उधर टाइम पास करेगा “
उसने फ़ोन मिलाया...
“ राजेश भाई... बड़ा ज़रूरी काम है... अभी मिलना है “
“ अच्छा... तो शो रूम पर आजा “
“ नहीं भाई... मेरी तबियत ठीक नहीं... इतना दूर नहीं आ पाउँगा “
“ अरे क्या हुआ...? अच्छा ! तो ऐसा कर गौरव टावर आजा, सीसीडी में मिलते हैं”
सीसीडी का नाम सुनते ही विक्रांत घबरा गया, अब तो वो अगले १-२ साल तक उधर का रुख नहीं करेगा।
“ नहीं... आप मुझे डब्लू टीपी के KFC में मिलो... कुछ खा भी लेंगे कल रात से कुछ नहीं खाया “
“ ठीक है यार ! आता हूँ आधे घंटे में “
डब्लू टी पी में पहुंचे आधा घंटा हो गया था, पर राजेश का कुछ अता पता नहीं था, २ बार कॉल भी किया। आज पता चल रहा है इंतज़ार करना, पूजा तो उसके एक कॉल पर भागी आती थी। सच में जीवन साथी की जगह कोई नहीं ले सकता, बाकी सब अपनी सहूलियत देखते हैं। एक बार मान जाये तो एकदम सुधर जाऊंगा !
तभी पसीना पोंछता हुआ हैरान परेशान सा राजेश नज़र आया, विक्रांत ने हाथ हिला के इशारा किया
“ अरे यार ! क्या हो गया... तूने तो मुझे डरा ही दिया था... ये डब्लू टी पी वाले भी न ! पार्किंग से ऊपर आने में पूरा २० मिनट लग जाता है... आज तो कार भी तेरी भाभी ले गयी तो गर्मी में बाइक पर भागता हुआ आया हूँ... उस पर टायर पंचर हो गया... मैं तो... “
“ भाई मैं परेशान हूँ ! “ विक्रांत ने उसे लगाम लगाई वरना वो अगले आधे घंटे तक चुप होने के मूड में नहीं दिखता था।
“ हाँ बोल न तो क्या हुआ...? वही तो पूछ रहा हूँ ! “
“ पूजा ने रिश्ता तोड़ दिया “
'हय...! क्या बात कर रहा है... क्यों ? कही शादी वादी कर रही है क्या ? मैं तो पहले ही कहता था शादी करो और खत्म करो झंझट... आजकल लड़कियां इतना इंतज़ार नहीं करती पर तू मेरी कभी सुनता है... मुझे तो पहले ही... ... “
विक्रांत तो फिर टोकना पड़ा... और सारी कहानी उन्हें डिटेल में सुना दी
“ हम्म्म... भाई गलती तो १०० प्रतिशत तेरी है... “
“ जानता हूँ पर मैं उसे वापस पाना चाहता हूँ... सच उससे शादी करना चाहता हूँ... अब आप ही बताओ कि कैसे मानेगी ? आप उसे समझाओ न कि एक बार मिल ले ! मेरा तो फ़ोन ही नहीं उठा रही अब ! “
राजेश भाई थोड़ी देर गहन मुद्रा में सोचते रहे। इस बीच आर्डर लेने के लिए लड़का ३ बार चक्कर लगा चुका था, सही भी है फ़ोकट में थोड़े ही बैठने को है ये जगह !
“ आतें सुबह से कुलबुला ही रहीं हैं ! ज़िंदा रहा तो फिर आगे सोच पाएंगे ! “ ये सोच के विक्रांत उठ के कुछ आर्डर कर आया ...
“ देखो उसे अपना फेसबुक पासवर्ड दे दो... लेकिन पहले अपने पिछले पाप मिटा देना ...! मुझे तो यही आखिरी रास्ता दिखता है। २ साल पहले इसी वजह से मेरे तलाक की नौबत आ गयी थी, तो मैंने भी यही किया था। तब से एकदम सुकून और शांति है, इन कामो में थोड़ी देर का सुख मिलता है, बाकी हमेशा तनाव बना रहता है... तुम भी अब सुधर जाओ “
आर्डर आ गया था... विक्रांत को हमेशा से KFC का चिकन पसंद था, पर आज वो स्वाद नहीं आ रहा था, खाते हुए वो एक अंधभक्त की तरह लगातार राजेश की बातों पर मुंडी हिला रहा था।
“ और हाँ पूजा के लिए एक अच्छी सी अंगूठी खरीदो, डायमंड रिंग ही लेना, पैसे बचाने के चक्कर में मत रहना। मैं उससे बात करके शाम को मिलने को राजी करता हूँ। तुम मिलो और पहले उसे पासवर्ड देना फिर शादी के लिए प्रपोज़ करते हुए अंगूठी पहना देना... समझे कुछ ? “
“ हूँ ...! “
“ क्या हूँ...? अरे मेरी बीवी तो डायमंड सेट पर राजी हुई थी , ऊपर से सब ससुराल वालो के सामने माफ़ी अलग मांगनी पड़ी थी ! ... बड़ी बेज़्ज़ती हुई थी यार ! “
उसने चिकेन छोड़कर , राजेश को गले से लगा लिया ... दोस्त वाकई दोस्त होते हैं ! तारणहार !
शाम तक पुराने काले कारनामे मिटा कर, उसके दिल का बोझ काफी हद तक कम हो गया था
“ पूजा सच कहती थी... जब प्यार है तो छुपाना कैसा छुपाता वही है जो गलत होता है ! “
राजेश भाई का फ़ोन आ चुका था, पूजा मिलने को तैयार है, लेकिन सिर्फ १० मिनट को, इससे ज़्यादा वक़्त नहीं है, उसके पास !
वो ख़ुशी से तैयार होने लगा, सोचा...
“ शेव कर लूँ, नहीं रहने देता हूँ थोड़ी बड़ी हुई शेव से ज़्यादा दुखी दिखूँगा, उसका दिल पिघलेगा ! “
जौहरी बाजार जा कर, एक खूबसूरत डायमंड रिंग खरीदी, डायमंड रिंग की वजह से थोड़ा कॉंफिडेंट फील कर रहा था ...
“ भले ही एकदम से माफ़ न करे पर डायमंड को ठुकरा नहीं पायेगी! “
पूजा बाहर पार्किंग में ही खड़ी मिल गयी...
“ हेलो पूजा ! ... अंदर चले ? “
“ बोलो क्या काम है अब ? मुझे जल्दी जाना है “ पूजा रुखाई से बोली
पूजा का चेहरा सूजा हुआ था, ऑंखें भी छोटी छोटी दिख रही थी,
(“ लगता है सारी रात रोई है... “ )
“ प्लीज यार ऐसा मत कहो... जो कहोगी, वो करुँगा “
“ ठीक है... गाडी में बैठो “ पूजा थोड़ा नरम हुई
“ सिर्फ राजेश भाईसाहब के कहने पर मिलने आई हूँ... वरना तो मैं तुम्हारी शक्ल भी नही देखना चाहती... “ उसने गाडी चलाते हुए कहा
“ पूजा क्या १ साल का रिश्ता एक दिन में टूट सकता है...? “
“ एक साल से तुम धोखा तो ही दे रहे हो... एकतरफा रिश्ता था, मेरी तरफ से। मैंने तोड़ दिया ! मुझे अब नहीं रहना... तुम जैसे फ़्लर्ट आदमी के साथ... “
“ अरे यार ! मैं सुधर गया हूँ... ये... “
“ बड़ी तेज़ रफ़्तार है तुम्हारे सुधरने की ...! एक ही रात में सुधर गए...! “
“ ये लो मेरा फेसबुक पास वर्ड... जिसे चाहो उसे ब्लॉक कर दो “ एक छोटा लिफाफा देते हुए बोला
“ भाड़ में जाओ... मुझे नहीं चाहिए “ पूजा ने लिफाफा डैशबोर्ड पर फेंक दिया
“ और मैं अब खुद को पूरी तरह तुम्हे सौंप रहा हूँ... प्लीज ! शादी कर लो मुझ से ! “ कहते हुए उसने जेब से अंगूठी का डिब्बा निकाला
पूजा ने तुरंत ब्रेक लगाया, अविश्वसनीय नज़रों से उसे घूरा
“ सच डिअर... चाहे तो कुछ दिन आजमा लो...! प्रोबेशन पर रख लो ! “ विक्रांत ने उसकी ऊँगली में अंगूठी पहना दी
पूजा की हँसी छूट गयी, उसने रोते हुए विक्रांत को गले लगा लिया और विक्रांत को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके जलते हुए शरीर पर पहली बारिश की बूंदें गिरने लगी हों !
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