प्रथम हंस कथा सम्मान (वर्ष 2012-13) के लिए कथाकार किरण सिंह का चयन किया गया. 28 अगस्त 2013 को राजधानी दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में उन्हे…
आगे पढ़ें »" लो जान, हम तुमको पकाने फिर से आ गये... " कहते हुये राहिला की कत्थई आंखें हमेशा की तरह शरीर कौंध से भरी हुई थी. मैं सुबह की चाय लेकर बाल…
आगे पढ़ें »औद्योगिक क्षेत्र में चाहे चीन अन्य एशियाई देशों से कहीं अधिक उन्नति कर गया हो परन्तु उसकी सामाजिक संरचना अन्य विकासशील देशों से भिन्न नहीं है। कई म…
आगे पढ़ें »प्रेम की दुनिया का अंत क्या अंधेरे में ही होना हुआ हमारे झलक भर देखे बगैर उन बादलो के बीच चांद का उजाला जहां पूरता है आसमान ( ओना नो कोम…
आगे पढ़ें »डॉ० रूपा सिंह ऍम.फिल. पीएचडी (जे.एन.यू), डी.लिट. एसो० प्रोफ़ेसर (हिंदी) एसोसिएट आई.आई.ए.एस – राष्ट्रपति निवास, शिमला (2012-2015) चार पुस…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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