Sudha Om Dhingra's Conversation with Devi Nangrani ग़ज़ल अब हमारी तहज़ीब की आबरू बन गई है - देवी नागरानी दर्द नहीं दामन में जिनके ख़ाक वो जी…
आगे पढ़ें »Aadhi Aabadi's Discussion on Indian Women & Media 14 सितम्बर हिंदी दिवस पर कई कार्यक्रमों की बहार थी। लेकिन, इन सबके बीच एक अलग तरह के का…
आगे पढ़ें »मुक्तिबोध : एक संस्मरण हरिशंकर परसाई भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कह…
आगे पढ़ें »तीन ग़ज़लें- एक बह्र प्राण शर्मा 1 कानों में रस सा घोलती रहती हैं बेटियाँ मुरली की तान जैसी सुरीली हैं बेटियाँ क्योंकर न उनको सीन…
आगे पढ़ें »सबसे मार्मिक प्रसंग डॉ0 नामवर सिंह के एपेन्डिसाइटिस के ऑपरेशन का था। जब वे दिल्ली आकर ‘जनयुग’ के बाद राजकमल प्रकाशन के साहित्य-सलाहकार के रूप मे…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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