एक बेहतरीन कहानी जैसे 'आवारा मसीहा' ... उसमें उसको ढूँढने की कोशिश में — मधु कांकरिया कुछ यादें बड़ी ढीठ होती हैं। अनजाने अन…
आगे पढ़ें »देह व्यापार हो या बलात्कार, हम हायतौबा भी अपनी सहूलियत और अपने एजेंडा के हिसाब से मचाते हैं। मेरे शहर में कोई बलात्कार हुआ तो मैं दुःखी हो…
आगे पढ़ें »अब अब्बा टीवी नहीं देखते, अख़बार पढ़ना भी इन दिनों छूट गया है। दुकान से लौटकर अम्मी के पास बैठे ज़रूर रहते हैं लेकिन बोलते कुछ नहीं। चुपचा…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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