संजय वर्मा "दृष्टि"
शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म. प्र. )
टेसू
खिले टेसू
ऐसे लगते मानों
खेल रहे हो पहाड़ों से होली ।
सुबह का सूरज
गोरी के गाल
जेसे बता रहे हो
खेली है हमने भी होली
संग टेसू के ।
प्रकृति के रंगों की छटा

आ जाती है धरती पर
फीके हो जाते है हमारे
निर्मित कृत्रिम रंग ।
डर लगने लगता है
कोई काट न ले वृक्षो को
ढंक न ले प्रदूषण सूरज को ।
उपाय ऐसा सोंचे
प्रकृति के संग हम
खेल सके होली ।
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