संजय वर्मा "दृष्टि"
शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म. प्र. )
टेसू
खिले टेसू
ऐसे लगते मानों
खेल रहे हो पहाड़ों से होली ।
सुबह का सूरज
गोरी के गाल
जेसे बता रहे हो
खेली है हमने भी होली
संग टेसू के ।
प्रकृति के रंगों की छटा
![होली की शुभकामनायें holi greetings shabdankan 2013 २०१३ होली की शुभकामनायें शब्दांकन](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjZXnySDMIES93yF07SN_ofvN4AR5-jTYJZ2GDjgEQuagtgzjHO7WuyME1h_7rK7-B-0Cba7VS1nAubvjokcamScWKFQltyrd0YoK9lUoOKFwhPaQjFKpCgYAw_RNIxakjKKN32KwTRjS7/s320-rw/holi-2013-shabdankan-logo-3d.gif)
आ जाती है धरती पर
फीके हो जाते है हमारे
निर्मित कृत्रिम रंग ।
डर लगने लगता है
कोई काट न ले वृक्षो को
ढंक न ले प्रदूषण सूरज को ।
उपाय ऐसा सोंचे
प्रकृति के संग हम
खेल सके होली ।
0 टिप्पणियाँ