सुमन केशरी
बिहार के मुज्जफरपुर में जन्मीं सुमन केशरी ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से बी.ए. करने के बाद जवाहरलाल नेहरुविश्वविद्यालय से एम. ए और सूरदास के भ्रमरगीत पर शोधकार्य किया.जीवन वास्तव के विभिन्न रंगरूपों को समझने-छूने की उत्सुकता के कारण सुमन ने यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, पर्थ से 2001 में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेसन की उपाधि हासिल की. अपनी इसी उत्सुकता और जिज्ञासा के कारण, जनवरी 2013 में उन्होंने भारत सरकार में निदेशक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति भी ले ली. इस समय वे महात्मागाँधी काशी विद्यापीठ से मानव अधिकार की संस्कृति और मीराँबाई की लोकसुरक्षित स्मृतियाँ विषय पर डी.लिट कर रही हैं.
अनछुए विषयों तक संश्लिष्ट बोध और सघन संवेदना के साथ जाना सुमन केशरी के काव्य मुहावरे की विशिष्ट पहचान है.
याज्ञवल्क्य से बहस (2008) संकलन के अलावा सभी प्मुख पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं.
उन्होंने जे. एन यू में नामवरसिंह (2009) नामक एक अत्यंत चर्चित पुस्तक का संपादन किया है.
सुमन केशरी ने अपर के.जी से लेकर कक्षा आठ तक की हिन्दी पाठ्य पुस्तकों सरगम और स्वर का भी निर्माण किया है.
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