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शैलेन्द्र कुमार सिंह
एम्.ए.पी-एच .डी(हिंदी )हिंदी ,प्राध्यापक ,राजकीय वरिष्ठ माद्यमिक विद्यालय ,बहोड़ा-कलांगुडगाँव (हरियाणा )-१२२४१३मो: 09671 4063 07ईमेल: syes1975@gmail.com
१. चौराहा
जब भी
देखता हूँ चौराहा
सोचता हूँ
लोगों ने तो स्वयं
पहन रखी हैं बेड़ियाँ
नहीं तो
चलने के विकल्प
सभी ओर खुले हैं
२. स्तनपान
शून्य आवरण तर
श्वेत-श्याम घन
उन्नत-उरॊज पर
धर अधर
पी रहे हैं ..ममता
धरती की देहात्मयष्टि पुलकित है
३. जगह
शहर- दर -शहर के बीच
सिमटे विस्तार में
एक गाँव के लिए
व्यक्ति- दर-व्यक्ति के बीच
विस्तारित स्वार्थ के बीच
प्रेमिल अपनाव के लिए
मैं जगह बनता हूँ
४. बाज़ार
गाँवों पर शहर
कुछ इस तरह
तना है
कि अब
हर आदमी का घर
बाज़ार में बना है
५. मैं -तू
दुनिया में माया का
जो सिक्का चलता है
इक फलक पर
तू खुदा है
इक फलक पर
मैं खुदा हूँ
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