nmrk2

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

"डियर फ़ादर" राहुल को रवीश की चिट्टी | "Dear Father" Ravish Kumar's Letter to Rahul Gandhi

डियर फ़ादर


आदरणीय राहुल जी,

भोत गल्त बात है । इतनी गल्त बात है कि लंबी चिट्टी का मूड नहीं बन रहा । नागपुर से लौटते वक्त कल हवाई जहाज़ में टाइम्स आफ़ इंडिया में एक ख़बर पढ़ी । परेश रावल को तो जानते हैं न आप । बहुत अच्छी एक्टिंग करते हैं और सिनेमा में सरदार पटेल भी बने थे मगर अपनी बड़ी बड़ी कामेडी वाली आँखों को सीरीयस बनाकर कबाड़ा कर दिया था( निजी राय) ।

       अगर परेश रावल मोदी समर्थक और प्रचारक हैं तो क्या प्राब्लम । पिछले चुनाव में परेश भाई की एक ही मेजर ड्यूटी थी । नमो चैनल में बैठकर मोदी की वकालत करना और विरोधियों को धाराशाही करना । आप जानते हैं कि मोदी जी अपने मंच पर एक्टर वैक्टर टाइप के लोगों को रखना पसंद नहीं करते । उनकी इस बात का मैं भी समर्थक हूँ । पूरे गुजरात चुनावों के प्रचार में सिर्फ एक ग़ैर राजनीतिक आदमी को मंच पर रखा था । इरफ़ान पठान को । उनके कंधे पर हाथ भी रखा था । कहाँ तो लोग सिर्फ टोपी में ही फँसे हैं । खैर ।

       अब यही परेश रावल एक नाटक कर रहे हैं डियर फ़ादर । अहमदाबाद में । आपके समर्थकों को लग रहा है कि इसमें आपकी कहानी है । डियर फ़ादर राहुल गांधी की कहानी है । मैं नहीं जानता असल में क्या है । उससे मुझे मतलब भी नहीं । लेकिन जब एन एस यू आई के लोग जाकर नारेबाज़ी करें और नाटक रोकने का प्रयास करें तब तो सीरीयस आपत्ति है । (ख़बर के मुताबिक़) । आप तो वही कर रहे हो जो एबीवीपी और बजरंग दल के लोग करते हैं । तभी लोग कहते हैं कि आप दोनों एक हैं ।

       आपको परेश रावल का सम्मान करना चाहिए । आपकी जगह मैं होता तो प्ले देखने चला जाता । लोकतातंत्रिक होने का महत्तम प्रमाण देना पड़ता है सर । आपने क्या नई राजनीतिक संस्कृति बनाई है जो पहले से अलग है । अगर एतराज़ ही करना था तो एन एस यू आई के कार्यकर्ता नाटक देखते और वहाँ मौजूद लोगों को पर्चे देते । थियेटर के बाहर एक पोस्टर लगाते । ये सब क्यों नहीं करते आप लोग । नहीं कर सकते । कांग्रेस बीजेपी के पास इतनी सत्ता है सिर्फ सरकार ही नहीं पार्टी के भीतर भी कि उसके दम पर ये लोग नाटक पेंटिंग रोकने फाड़ने चले आते हैं ।

       और ये एन एस यू आई वाले कहाँ थे जब आपको मोदी के नेटी घुड़सवार पप्पू कह रहे थे । क्या आप नेट पर ऐसा कर सकते थे । क्या आपके पास एक भी एक्टर नहीं है जो मोदी पर नाटक लिखकर मंचन करे और आप मोदी को देखने का न्यौता देते । कितना मज़ा आता । दरअसल आप दोनों निहायत ही अलोकतांत्रिक होते जा रहे हैं ।

       मेरी राय में जिस तरह से आपकी पार्टी के नेताओं ने आपको शहज़ादा कहा जाना स्वीकार किया है, पप्पू कहलाना स्वीकार किया है उसी तरह डियर फ़ादर को भी स्वीकार करना चाहिए । जब मोदी शहज़ादा कहते हैं तो आपकी पार्टी में सबका ख़ून सूख जाता है । आपके पास तो मोदी के लिए कोई चुनावी पुकार नाम ही नहीं है । जब रचनात्मकता और राजनीति की घोर कमी हो जाए तो उसकी भरपाई पोस्टर फाड़ कर नहीं की जाती है । मुक़ाबले का पोस्टर बनाना पड़ता है ।

       और हाँ हो सके तो मोदी जी के पाँच सवालों में से एक का तो जवाब दे दीजियेगा । भ्रष्टाचार, आई एस आई में से किसी पर । मोदी फ्रंट फ़ुट पर खेलते हैं और आप हैं कि बैकफ़ुट की आदत हो गई है ।

आपका,
रवीश कुमार ' एंकर' 

( मैं ब्लाग पर एक पत्रकार के रूप में नहीं लिखता । ये भाषा भी किसी पत्रकार की नहीं हो सकती । चूँकि यह अनौपचारिक माध्यम है इसलिए मैं अपने मूड के हिसाब से लिखता हूँ । जिन मूर्खों को लगता है कि यहाँ मैं पत्रकारिता कर रहा हूँ वो न पढ़ें । )

रवीश कुमार के ब्लॉग 'कस्बा' के निम्न लिंक से साभार
http://naisadak.blogspot.in/2013/10/blog-post_27.html
Dear-Father-Ravish-Kumar-Letter-to-Rahul-Gandhi
nmrk2

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
टूटे हुए मन की सिसकी | गीताश्री | उर्मिला शिरीष की कहानी पर समीक्षा
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
एक स्त्री हलफनामा | उर्मिला शिरीष | हिन्दी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل