अद्भुत ऊर्जावान देश - अशोक चक्रधर | Ashok Chakradhar on Narendra Modi


अद्भुत ऊर्जावान देश  — अशोक चक्रधर


चौं रे चम्पू! - अशोक चक्रधर
— चौं रे चम्पू! बड़ौ बिदवान बनै है, जे बता चुनावन ते का सिद्ध भयौ?

— इस चुनाव ने कई सारी बातें सिद्ध की हैं चचा। पहली बात तो यह कि कोई भी शासन अंगद का पांव नहीं होता। बहुत दिनों तक अगर एक ही दल या उसके गठबंधन का राज बना रहे तो छोटी और मोटी सभी प्रकार की भूलों के कारण चूलें हिल जाती हैं। जनता के आक्रोश का फायदा संभावित विकल्प को मिलता है। कांग्रेस के प्रति आक्रोश अपनी पराकाष्ठा तक पहुंच चुका था चचा। 

— दूसरी बात?

— दूसरी बात यह कि धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता जैसे शब्द नई पीढ़ी और इस बदली मानसिकता के मतदाता को निरर्थक लगने लगे थे। हमारे देश का व्यापक हिन्दू वर्ग धार्मिक कट्टरपंथी कभी नहीं रहा और मैं समझता हूं अभी भी नहीं है। उदार था, उदार है और उदार रहेगा, लेकिन शासन यदि सभी धर्म-वर्गों के प्रति एक जैसा उदार नहीं है तो वह शूल कसक सकता है और इस बार भरपूर कसका, जिसके कारण आधार खिसका। हिन्दुओं का पोलराइजेशन नहीं हुआ, बल्कि धर्मनिरपेक्षता की पोलपट्टी का उजागराइजेशन हुआ। जिन राष्ट्रीय मानकीकृत मूल्यों के आधार पर गवर्नैंस चली, वह आचरण में बोदी साबित हुई तो मोदी आ गए।

— मोदी के आइबे की वजह बस इत्ती सी ऐ का?

— नहीं! अनेक कारण हैं। मोदी-तत्व की अनेकायामी विशेषताएं सामने आईं। 

नं. एक, मोदी का बहुआयामी श्रम। उन्होंने दिखा दिया कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। सुबह जल्दी उठना और देर रात तक लगे रहना। रैली दर रैली दर रैली। 

नं. दो, थैली दर थैली दर थैली। यानी, देश के पूंजीपतियों का समर्थन और व्यापारी वर्ग का सहयोग। 

नं. तीन सवर्ण हों या दलित, हिन्दू मतावलम्बियों का उदार रहते हुए ध्रुवीकरण। मायावती जिन्हें अपनी मूर्तियां समझती थीं, उन्होंने भी मोदी को वोट दिया। 

नं. चार, मोदी और उनकी टीम के रणनीतिकारों का कुशल योजना-प्रबंधन। योजनाएं दर योजनाएं दर योजनाएं। अगला जब कर्मठता से तैयार है तो बनाओ प्रोगराम दर प्रोगराम दर प्रोगराम। कांग्रेस में अधिकांश आराम दर आराम दर आराम रमेश थे। 

नं. पांच, मोदी द्वारा अपने श्रम का गौरवीकरण, यानी, बचपन में अगर स्टेशन पर चाय बेची तो बेची। अहंकार में आए हुए एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने मज़ाक बनाई, मोदी अगर चाय बेचने वाले हैं तो हमारे अधिवेशन में आकर चाय बेचें। हमारा देश श्रम का अपमान बर्दाश्त नहीं करता चचा!

— अगली बिसेसता बता।

— अगली विशेषता…. पांच हुईं न अब तक, तो सुनो 

नं. छ:, भारतीय पारिवारिक जीवन-मूल्यों की ओर मोदी की वापसी, उन्होंने संघ के अनुशासन को परे रख कर, देर से सही पर पत्नी को संज्ञान में लिया। देश की महिलाएं मुरीद हो गईं। यह थी पारिवारिकता की नव प्रायोगिकी। और ...

नं. सात, सूचना प्रौद्योगिकी। सोशल मीडिया का ऐसा इस्तेमाल पहले कभी नहीं हुआ जैसा मोदी-टीम ने किया। फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, कोई प्लेटफॉर्म नहीं छोड़ा। फेसबुक पर मोदी के लाइक्स सर्वाधिक हैं। अब ...

नं आठ सुन लो चचा। मोदी जी अपने विरोधियों से अगर तत्काल बदला नहीं लेते हैं तो उनके नाम भी नहीं भूलते हैं। 

नं. नौ, कृतज्ञता, जिसने साथ निभाया, वह भाया। 

नं. दस, संगठन के प्रति समर्पण। दलबदल जैसा भाव उनमें कभी नहीं आया। राष्ट्रीयता की सोच है तो है। और...

 नं. ग्यारह ज़बर्दस्त आत्मविश्वास। आपने सुना कल मोदी जी का भाषण? 

— नायं लल्ला! मैं नायं सुन पायौ। 

— सुनते तो एक आदमी की पारदर्शिता पर आपको भी आंसू आ सकते थे। समझदारी से पूर्ण भावुक भाषण था। संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद सैंट्रल हॉल में दिया गया यह भाषण सदा याद किया जाएगा। चुनावी महासंग्राम समाप्त हुआ, अब आगे देखना है। चचा, जीतने के बाद का सौमनस्य आश्वस्त-सा तो करता है। भरोसा भी बनते बनते बनेगा कि अब तोड़ने का नहीं, जोड़ने का युग आया है। ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के उत्थान पर प्राथमिकता से सोचना होगा। यदि सरकार पूंजीपतियों, सामंतों, सम्पन्नों और व्यापारियों का ही हित-रक्षण करेगी तो भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगा पाएगी, तो क्षरण होते भी देर नहीं लगेगी, क्योंकि ये देश कितना भी सम्पन्न दिखे लेकिन अभी तक विपन्नता के सौन्दर्य से जी रहा है। सम्पन्नता और विपन्नता का सौंदर्यशास्त्र बदलना होगा। मोदी जी को बधाई! चम्पू की सलाह पर उन्हें सोचना होगा कि सर्वजनहिताय उदारता को अंदर-अंदर कैसे अंकुरित, पल्लवित और पुष्पित किया जाय। लोग हमारा देश अद्भुत ऊर्जावान देश है चचा। अधिकांश देशवासी फीलगुड कर रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
कहानी : भीगते साये — अजय रोहिल्ला
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना