मामला हार-जीत का है ही नहीं। स्त्री द्वारा पुरुष के सामने अपने अस्तित्व की रक्षा करने का है — अशोक चक्रधर — चौं रे चम्पू! औरत सनी द…
आगे पढ़ें »हरिशंकर परसाई का यह व्यंग्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना उस दौर में था जब लिखा गया। आइए इसे फिर से पढ़ें और सोचें। प्रेमचंद के फटे जूत…
आगे पढ़ें »मौन की राष्ट्रभाषा —अशोक चक्रधर मीडिया शाश्वत सजीव पेटू है, जिसे चौबीस घंटे भोजन चाहिए — चौं रे चम्पू! हरियाना और जेएनयू पै इत…
आगे पढ़ें »रवीन्द्र कालिया, शुद्धतावाद के विशुद्ध विरोधी - अशोक चक्रधर दायें से रवींद्र कालिया, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, मधु गोस्वामी और अशोक …
आगे पढ़ें »सम विषम दिल — अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! सम और विसम के चक्कर में दिल्ली के दिल कौ का हाल ऐ? —दिल में सम-विषम संख्याएं नहीं होतीं…
आगे पढ़ें »कन्या रत्न का दर्द प्रेम जनमेजय आप यह मत सोचिए कि मैं कोई साधु संत या फिर आधुनिक बाबा-शाबा हो गया हूं और आपको माया मोह से दूर रहने की सलाह …
आगे पढ़ें »भगवान ने एक ही जीवन दिया है , उसपर भी मैं अपने पेट का मान सम्मान न करूँ तो कैसे चलेगा भला? पतलेपन का भूत अभिषेक अवस्थी मेरे एक घनिष्ठ…
आगे पढ़ें »चौं रे चम्पू यादों के खट्टे-मीठे फल अशोक चक्रधर हिन्दी हमारे देश में बैकफुट पर रहती है, कभी अपने आपको बलपूर्वक आगे खड़ा नहीं करती। …
आगे पढ़ें »चौं रे चम्पू भैंस का एक कान गया अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! बजट में किसानन के तांईं कछू नायं कियौ का? —किया है, लेकिन दूसर…
आगे पढ़ें »लट्ठमार कवि सम्मेलन वाया अदमापुर पंकज प्रसून बलई पांडे बल्लू लूटपाट के आरोप में तीन साल की कैद-ए बामुशक्कत के बाद इतने प्रतिष्ठित हो गए थे …
आगे पढ़ें »चौं रे चम्पू गरीबी रेखा या रोटी रेखा अशोक चक्रधर Amazon.in Widgets —चौं रे चम्पू! गरीबी की बहस कहां तक पौंहची? —अभी तो परिभाषाएं …
आगे पढ़ें »अद्भुत ऊर्जावान देश — अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! - अशोक चक्रधर — चौं रे चम्पू! बड़ौ बिदवान बनै है, जे बता चुनावन ते का सिद्ध भयौ? — इस …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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