भैंस का एक कान गया - अशोक चक्रधर | Choun re Champoo - Ashok Chakradhar

चौं रे चम्पू

भैंस का एक कान गया  

अशोक चक्रधर




—चौं रे चम्पू! बजट में किसानन के तांईं कछू नायं कियौ का?


—किया है, लेकिन दूसरी मदों की तुलना में देखो तो किसानों के लिए कुछ ख़ास नहीं है चचा। कहने को एक हज़ार करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री कृषि संचयी योजना है। वाराणसी में हथकरघा, व्यापार केन्द्र और संग्रहालय बनाने से क्या हो जाएगा? हर किसान के लिए मृदा उर्वरक कार्ड के लिए सौ करोड़ की योजना से क्या हो जाएगा? हां, अनुसूचित जाति कल्याण कोष के लिए पचास हज़ार करोड़ से ज़्यादा हैं, अनुसूचित जाति कल्याण योजना के लिए बत्तीस हज़ार करोड़ से ज़्यादा हैं। अब मरोड़ इस बात का है कि ये करोड़ों रुपए किसान तक कैसे पहुंचें? अधिकांश  तो बिचौलिए, मुस्टंडे खा जाते हैं।

—अरे हां, मुस्टंडन पै ध्यान आई, तू अपनी कबता सुनाय रह्यौ ओ!

—बिचौलिए, मुस्टंडे तरह-तरह के अनुदानों और कर्ज़ों पर कुंडली मारकर बैठ जाते हैं। बताइएकविता में मुस्टंडों ने ग़रीबदास को ग़रीबी की रेखा कितनी ऊंची बताई थी?

—ग़रीबदास की बीवी की एड़ी जित्ती ऊंची, तसले में मिट्टी जित्ती ऊंची, परांत में पिट्ठी जित्ती ऊंची। आगैबता! यहां ताईं तौ सुनि लई।

—फिर मुस्टंडा बोला, ‘इतना ऊंचा भी कूदेगा तो धम्म से गिर जाएगा। एक सैकिण्ड भी ग़रीबी की रेखा से ऊपर नहीं रह पाएगा। लेकिन हम तुझे पूरे एक महीने के लिए उठा देंगे, खूंटे की ऊंचाई पे बिठा देंगे। बाद में कहेगा अहा क्या सुख भोगा.....।’गरीबदास बोला, ‘लेकिन करना क्या होगा?’ ‘बताते हैं बताते हैं! अभी असली मुद्दे पर आते हैं। पहले बता क्यों लाया है ये घास?’ ‘हजूर, एक भैंस है हमारे पास।’ ‘तेरी अपनी कमाई की है?’ ‘नईं हजूर! जोरू के भाई की है।’ ‘सीधे क्यों नहीं बोलता कि साले की है। मतलब ये कि तेरे ही कसाले की है। अच्छा, उसका एक कान ले आ काट के, पैसे मिलेंगे तो मौज करेंगे बांट के।’ ‘भैंस के कान से पैसे! हजूर ऐसा कैसे?’ ‘ये एक अलग कहानी है, तुझे क्या बतानी है!’

—हमें तौ बताय दै।

—चचा, आई०आर०डी०पी० का लोन मिलता है। उससे तो भैंस को ख़रीदा हुआ दिखाते हैं। फिर भैंस को मरा बताते हैं। प्रमाण के लिए भैंस का एक कान काट के ले जाते हैं और बीमे की रक़म ले आते हैं। आधा अधिकारी खाते हैं, आधे में से थोड़ा साग़रीब को टिकाते हैं, बाकी बिचौलिए मुस्टंडे ख़ुदपचाते हैं। बहरहाल, साला बोला, ‘जान दे दूंगा पर कान ना देने का।’ ‘क्यों ना देने का?’ ‘पहले तो वो काटने ई ना देगी अड़ जाएगी, दूसरी बात ये कि कान कटने से मेरी भैंस की सो बिगड़ जाएगी।’‘अच्छा, तो शो के चक्कर में कान ना देगा, तो क्या अपनी भैंस को ब्यूटी कम्पीटीशन में जापान भेजेगा? कौन-से लड़के वाले आ रहे हैं तेरी भैंस को देखने कि शादी नहीं हो पाएगी? अरे भैंस तो तेरे घर में ही रहेगी बाहर थोड़े ही जाएगी। और कौन-सी कुंआरी है तेरी भैंस कि मरा ही जा रहा है, अबे कान मांगा है मकान थोड़े ही मांगा है जो घबरा रहा है। कान कटने से क्या दूध देना बंद कर देगी, या सुनना बंद कर देगी? अरे ओ करम के छाते! हज़ारों साल हो गए भैंस के आगे बीन बजाते। आज तक तो उसने डिस्को नहीं दिखाया, तेरी समझ में आया कि नहीं आया? अरे कोई पर थोड़े ही काट रहे हैं कि उड़ नहीं पाएगा परिन्दा, सिर्फ़ कान काटेंगे भैंस तेरी ज्यों-की-त्यों ज़िंदा।’

—तौ मान गयौ गरीबदास?

—हां, जब उसने साले को कान के बारे में कान में समझाया, और एक मुस्टंडे ने तेल पिया डंडा दिखाया, तो साला मान गया, और भैंस का एक कान गया। इसका हुआ अच्छा नतीजा, ग़रीबी की रेखा से ऊपर आ गए साले और जीजा। चार हज़ार में से चार सौ पा गए, मज़े आ गए। एक-एक धोती का जोड़ा, दाल-आटा थोड़ा-थोड़ा, एक-एक गुड़ की भेली, और एक-एक बनियान ले ली। बचे-खुचे रुपयों की ताड़ी चढ़ा गए, और दसवें ही दिन ग़रीबी की रेखा के नीचे आ गए।

—है गई कहानी खतम?

—कहानी कैसे ख़त्म हो जाएगी, चचा। कहानीहमेशा नए सिरे से शुरू होती है। मामला ग़रीबी कीरेखा का है, आगे आगे देखिए होता है क्या?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ट्विटर: तस्वीर नहीं, बेटी के साथ क्या हुआ यह देखें — डॉ  शशि थरूर  | Restore Rahul Gandhi’s Twitter account - Shashi Tharoor
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'