कविता: मुबारक हो दामोदर भाई - विमल कुमार | Mubarak ho Damodar Bhai, Vimal Kumar's Poem


विमल कुमार
यूनीवार्ता, रफ़ी मार्ग, नई दिल्ली-11001,
फोन: 099 684 00416
निवास: सेक्टर-13/1016, वसुंधरा, गाजियाबाद
ई-मेल- vimalchorpuran@gmail.com

मुबारक हो दामोदर भाई !
तुम्हे मुबारक हो..

इस तख्तो ताज के लिए
तुम्हे मुबारक हो
इस रंगों साज़ के लिए
तुम पर उन लोगों के गुमां ओ नाज़ के लिए
भी मुबारक हो

अब तो तुम नहीं रहे किसी बात के गुनहगार
अब भला कौन कहेगा कि तुम करोगे इस मुल्क को शर्मशार
अब सवाल ही कहाँ उठता है
कि तुमने किया था किसी से साथ कोई सौदा या व्यापार

मुबारक हो दामोदर भाई
मुबारक हो.........

इस जंग में जीत के लिए
दुनिया की इस रीत के लिए

कितनी शानदार थी तुम्हारी पैकेजिंग
और उस से भी लाजवाब मार्केटिंग
और उस से भी अधिक नायाब तुम्हारी ब्रांडिंग

इस उम्दा फंडिंग के लिए भी मुबारकबाद

तुम वाकई मुबारकबाद के हक़दार हो ही
अब तो इसी तरह ही जीती जायेगी लडाई
सचाई और नैतिकता से कोसों दूर ....

इसलिए मुबारकबाद देता हूँ तुम्हे दामोदर भाई
जितने दाग थे तुम पर
अब सब धुल गए
हमारे भी कई लोग जो तुम से मिल गए
फूल तुम्हारे जो चारो तरफ खिल गए

तुम्हारी इस रहस्यमयी और कुटिल मुस्कान के लिए भी मुबारक हो
इस अनोखी सतरंगी उड़ान के लिए भी मुबारक हो
और इस प्रायोजित अभियान के लिए भी मुबारक हो

दमोदर भाई
मुबारक बाद देता हूँ
दाढी में छिपे तुम्हारे तिनके के लिए
कंधे पर लटके २० साल पुराने गम्छे के लिए
माथे पर लगे रोज़ नए टीकों के लिए

ये अलग बात है
कि जब तुमको देखता हूँ तो कुछ जलने की गंध आने लगती है
तुम्हारी आवाज़ सुनता हूँ
तो किसी बच्चे के रोने की आवाज़ सुनायी पड़ती है
दामोदार भाई
फिर भी तुम्हे मुबारक हो...

तुम तो हर फन
में माहिर हो
सपनो को बेचने में उस्ताद
पर हमे तो हमारी आत्माएं ही रोक देती हैं

जाहिर है ये राजनीति है
जो इतने सालों में अब एक शतरंज बन गयी है
इस खेल में कभी तुम मात होते हो
कभी हम मात होते है दामोदर भाई

तुम्हे इस लंगड़ा कर चलते
भीतर से भूख की आग में जलते
हर रात कराहते,किसी को मुक्ति के लिए पुकारते
इस मुल्क के सुन्दर आगाज़ के लिएतुम्हे मुबारक हो....


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل