तीन कवितायें - विभा रानी | Poems - Vibha Rani

कवितायें 

विभा रानी


ज नहीं खेली होली!

आज नहीं खेली होली
पर पूरियां बेलीं
भरी कचौरियां - हरे मटर की

काटी थोड़ी सब्जियां,
रिश्तों की गर्मी और होली की नमी के बीच
हिलते रहे पेड़ों के पत्ते
और खिड़कियों पर टंगे परदे।
पक गए सारे पकवान- पारंपरिक
नाम लूं तो भर आएगा पानी- मुंह में
यही पानी तो है जीवन का सार
जो बहता है होली में
पुआ, कचौड़ी, दही बड़े, टमाटर की चटनी
कटहल की सब्जी, मटन और भांग की
ठंढई में।
कैंसर ने मेरे कानों में इठलाते हुए कहा-
“देखा, नहीं खेलने दिया मैंने तुम्हे होली ना।“
मैंने भी इतराकर कहा- 
“इतने गाए गीत, इतना हंसी उत्तान तरंग
जगी इतनी देर, नींद भी आई चंगी
खाया भी खूब, सिलाए भी कपडे
ए भाई! मन की दहन कहीं और करो बयान
हमारे पास तो है रंगों से लेकर 
होलिका दहन तक के सामान
नगाडों से लेकर फगुनाहट की 
झनझनाहट तक के जीवन-राग!
जाओ भाई! कर लो खुद को नज़रबंद
बसा लो अपनी एक दुनिया
उसी में घूमते रहो 
ओ मेरे बनैले सफरचंद!!!”

सितारों की सौगात!

केमो की रात
नींद की बरात
किसी और के साथ
अपने हाथ
सितारों की सौगात!
उनसे हो रही बात- मुलाक़ात!
कल सुनेंगे सूरज का नात
धूप का गर्म स्नान
बिना घात, बिन प्रतिघात
फिलवक्त, 
केमो की रात
परीक्षा के पात
भूखे का भात
रात और प्रात!
छिड़ी है जंग
देखें, कौन देगा किसको मात!
तन की या निसर्ग की वात
दिन है सात, चक्र है सात!
केमो की रात
थोड़ी ज्ञात, थोड़ी अज्ञात!

छोले, राजमा, चने सी गाँठ!

उपमा देते हैं गांठों की
अक्सर खाद्य पदार्थों से
चने दाल सी, 

मटर के साइज सी
भीगे छोले या 
राजमा के आकार सी
छोटे, मझोले, बड़े साइज के आलू सी।
फिर खाते भी रहते हैं इन सबको
बिना आए हूल
बगैर सोचे कि 
अभी तो दिए थे गांठों को कई नाम- उपनाम।
उपमान तो आते हैं कई-कई
पर शायद संगत नहीं बैठ पाती
कि कहा जाए- 
गाँठ- 
क्रोसिन की टिकिया जैसी
बिकोसूल के कैप्सूल जैसी। 
सभी को पता है 
आलू से लेकर छोले, चने, राजमे का आकार-प्रकार
क्या सभी को पता होगा
क्रोसिन- बिकोसूल का रूप-रंग?
गाँठ को जोड़ना चाहते हैं
जीवन की सार्वभौमिकता से
और तानते रहते हैं उपमाओं के
शामियाने- चंदोबे।



विभा रानी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना