कवितायेँ - संजना तिवारी | Poems - Sanjana Tiwari (hindi kavita sangrah)


कवितायेँ 

- संजना तिवारी


बिकती है वो


टुकड़ो- टुकड़ो में खुद को
लिखती है वो
कहीं किताबों कहीं अखबारों में
बिकती है वो .....।।

उसे नाज़ है अपने
रिसते हुए जख्मों पर
उसे फक्र है अपने
घिसते हुए यौवन पर
तन पे कम कपड़े
आँखों में हया रखती है वो.....
कहीं किताबों कहीं अखबारों में
बिकती है वो.....।।

उसे इतिहास में तुमने कभी
सीता कहा था
उसे ही मान दुर्गा चरणों में
मस्तक धरा था
उसी सम्मान के परचे
यहीं अब सीती है वो.....
कहीं किताबों कहीं अखबारों में
बिकती है वो .....।।

वही जननी वही धरती
वही निज मोह माया
वही जल है वही अग्नि
धरे नित अनुपम काया
नारी से नर को जीवन
युगों -युगों से देती है वो......
कहीं किताबों कहीं अखबारों में
बिकती है वो .....।।

उसे गर जानना चाहो
तो सुन लो 'ऐ' पुरुष तुम
वासना को त्याग प्रेम लो
अँजुरी में भर तुम
प्रेम और विश्वास की पूंजी
सदा ही भरती है वो......
कहीं किताबों कहीं अखबारों में
बिकती है वो ......।।

=====

नहीं चाहिए बदलाव


नहीं बदलना चाहती मैं तुम्हें
एक इंच भी
चाहे खुद बदल गई हूँ
सिर से पाँव तक
फिर भी नहीं
बिल्कुल नहीं

जब कभी सोचा ही नहीं
माँ की आदतों को बदलूँ
या पिता को थोड़ा नर्म
माँ के स्पर्श सा कर दूँ
मैंने तो बस आत्मसात किया
उनमे खुद को और
खुद को उनमें जिया
फिर क्यों ????
तुम्हें बदलने का
विचार भी लाऊं ?
जैसे उन्हें निभाया है
तुम्हें भी खुद में समाऊँ । ।
नहीं बदलना चाहती मैं तुम्हें
एक इंच भी ........

माना तुम बहुत
बहुत निष्ठुर हो
मेरे लिए उजालों में भी
अंधेरा ढूंढ लाते हो
तानो से कर देते हो
छलनी मेरा सीना
संजना तिवारी
एम ए (हिन्दी)
शिक्षिका (अँग्रेजी) एवं उपप्रधानाचार्य
2013 से कई पत्र - पत्रिकाओं के लिए लेखन जारी है ।
संपर्क:
9/406, A-1 & A-2,
Opp New RTC Bus Stand, Main Road,
Rajampet - 516 115, Distt. - Kadapa
(Andhra Pradesh)
मोबाईल : 08985088566
ईमेल: sanjanaabhishektiwari@gmail.com
और सागर भर रुलाते हो
लेकिन फिर भी
नहीं बदलना चाहती मैं तुम्हें
एक इंच भी .......
तुम मेरा वो हिस्सा हो
जो जीवन के कठोर
सचो को मेरे समक्ष
नंगा कर देता है
घृणित हर वस्तु से
रिश्ता पक्का कर देता है
तो क्यों ना जीऊँ
माँ के प्यार और
पिता की छाँव से
तुम्हारे सच्चे अप्रिय
प्रेमरहित वजूद को
हाँ फिर भी
नहीं बदलना चाहती मैं तुम्हें
एक इंच भी .....

००००००००००००००००

ये पढ़ी हैं आपने?

सितारों के बीच टँका है एक घर – उमा शंकर चौधरी
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
चतुर्भुज स्थान की सबसे सुंदर और महंगी बाई आई है
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'