वर्तमान साहित्य
साहित्य, कला और सोच की पत्रिका
'वर्तमान साहित्य' मई, 2015 - आवरण व अनुक्रमणिका
आवरण के छायाकार दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’
वर्ष 32 अंक 5 मई, 2015
सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति नारायण राय | कार्यकारी संपादक: भारत भारद्वाज | कला पक्ष: भरत तिवारी
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कबिरा हम सबकी कहैं/ विभूति नारायण राय
जां निसार अख़्तर की जन्म–शताब्दी के अवसर पर
जां निसार अख़्तर : साज़े तरन्नुम से नाल–ए–मातम तक/ प्रो. अली अहमद फ़ातमी
अनुवाद (मलयाली कहानी)
शरलक/ एम. टी. वासुदेवन नायर / अनु. डॉ. पी. के. राधामणि
चर्चित कहानी बनाम प्रिय कहानी
पिता/ धीरेन्द्र अस्थाना
आत्मवक्तव्य/ धीरेन्द्र अस्थाना
चर्चा/ प्रियदर्शन
कहानी
बादल बारिश भीजनहार/ बलराम अग्रवाल
मैं भी तो इंसान हूं/ दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’
फूलों को पता है/राजेन्द्र राजन
उतरती हुई धूप/रजनी गुप्त
कविताएं
उपेन्द्र कुमार
जितेन्द्र श्रीवास्तव
वन्दना शर्मा
अशोक गुप्ता
स्मृति शेष
राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप के जरिए बहस पैदा करते थे गुंटर ग्रास/शैलेन्द्र चैहान
समीक्षा
उत्तर कृष्ण कथा से उठते प्रश्न/ विजय मोहन सिंह
अँधेरे का उत्सवीकरण नहीं, समाजीकरण/देवेन्द्र आर्य
मीडिया
मीडिया में महिलाओं का हाशिया/प्रांजल धर
स्तंभ
तेरी मेरी सबकी बात/नमिता सिंह
सम्मति : इधर–उधर से प्राप्त प्रतिक्रिया
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