सतीश जमाली : जर्जर डोंगी और बूढ़ा मछेरा मधुरेश संस्मरण यह वही दौर था जब अपनी-अपनी दिशाएं तय करके हम उडऩे को अपने पर तौल रहे थे। कह…
वर्तमान साहित्य - नवम्बर 2015 Vartman Sahitya - November 2015 वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 11 नव…
साहित्य अकादमी इतनी छोटी कब से हो गयी कि उसके खैरख्वाहों ने पुरस्कार लौटाने वालों से इससे जुड़े यश और अर्थ का हिसाब माँगना शुरू कर दिया? ~ व…
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 10, अक्टूबर , 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति…
भाई परमानंद और स्वराज्य लेखक : पंडित जवाहरलाल नेहरू नेहरू जी का हिन्दी में यह पहला लेख है। इसे उन्होंने अलमोड़ा जेल में लिखा था और विलायत ज…
अगस्त 1935 की ‘सरस्वती’ में हिन्दू महासभा के भाई परमानंद ने स्वराज्य की एक मजेदार अवधारणा प्रस्तुत की थी। उनके अनुसार धर्म और राष्ट्र का अविभ…
मिथ और इतिहास में फर्क न करने वाला राज्य हमेशा आस्था को विवेक पर तरजीह देगा ~ विभूति नारायण राय कबिरा हम सबकी कहैं विवेक और तर्क का…
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 9, सितम्बर, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति न…
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका 'वर्तमान साहित्य' अगस्त, 2015 - आवरण व अनुक्रमणिका आवरण के छायाकार दिल…