वर्तमान साहित्य
साहित्य, कला और सोच की पत्रिका
'वर्तमान साहित्य' अगस्त, 2015 - आवरण व अनुक्रमणिका
आवरण के छायाकार दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’
वर्ष 32 अंक 8 अगस्त, 2015
सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति नारायण राय | कार्यकारी संपादक: भारत भारद्वाज | कला पक्ष: भरत तिवारी
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आलेख
कर्तार सिंह सराभा - सिद्धांत और व्यवहार के बीच पाप की छाया का निषेध /प्रो. प्रदीप सक्सेना
इस्मत चुग़ताई –मंज़र पसमंज़र / प्रो. अली अहमद फ़ातमी धारावाहिक उपन्यास–3
कल्चर वल्चर / ममता कालिया
संस्मरण
नामवर होना / भरत तिवारी
अनुवाद
ताला (अर्जेंटिना की कहानी) / मूल -
कंकड़ खाने की आदत (बांग्ला कहानी) / मूल - रमानाथ रायअनुवाद - दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’
कविताएं
अभिनव निरंजन
जितेन्द्र धीर
घोड़ला / हरिराम मीणा
कहानी कभी नहीं मरती /सुशांत सुप्रिय
कचैड़ी गली / अनिता गोपेश
फ्री लंच / वन्दना मुकेश
मीडिया
मीडिया की शब्दावली सचमुव विचित्र है /प्रांजल धर
समीक्षा
इतिहास से भूगोल तक / स्वप्निल श्रीवास्तव
शिक्षा का सच और सार्थकता की तलाश / धर्मेन्द्र सुशान्त
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