‪#‎विश्व_हिंदी_सम्मेलन‬ - अलादीन | Vishwa Hindi Sammelan - Aladin


मुख्यमंत्री शाल 'ओढ़कर' गवर्नर का स्वागत करेंगे

- अलादीन


वही हुआ जिसकी आशंका थी. भोपाल में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन की व्यवस्था भारतीय जनता पार्टी के किसी सम्मेलन की सी होकर रह गई है. पहले दिन प्रधानमंत्री के आगमन पर लगे नारों से लेकर उनके और शिवराज के चुनावी भाषणों तक ही राजनीति रही हो ऐसा भी नहीं है. आयोजन में शामिल सभी सरकारी प्रतिनिधियों के साथ स्थानीय माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के एक-एक छात्र को स्वयंसेवक के रूप में तैनात किया गया था. सनद रहे कि यह विश्वविद्यालय इस समय संघ की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बना हुआ है. संघी कुलपति कुठियाला के नेतृत्व में यहां से सभी उदार लोगों को ठिकाने लगाया जा रहा है और पत्रकारिता के नाम पर वेदपुराण पढ़ाया जा रहा है.

हिंदी के नाम पर हो रहे इस सम्मेलन में हिंदी के चर्चित चेहरे न के बराबर दिख रहे हैं. अगर कोई नजर आ रहा है तो कुरते की बाहें चढ़ाये और भगवा रंग के पास लटकाये घूमते भाजपा कार्यकर्ता. सम्मेलन में अपना सांकेतिक हिंदूवादी राजनीतिक भाषण (बिहार की गरीबी का जिक्र, रामचरित मानस का जिक्र) समाप्त करके मोदी जी बाहर क्या निकले माहौल में पूरी तरह अफरातफरी हो गई. 5,000 से अधिक अतिथियों के लिए बने मोबाइल शौचालयों की हालत भारतीय रेल के जनरल डिब्बे के शौचालयों जैसी हो गई थी. करीब एक लाख वर्ग फुट में बना मुख्य दिनकर सभागार तो एयर कंडीशंड था लेकिन उसके बाहर तपती गर्मी ने अतिथियों का हाल बेहाल कर रखा था. न पानी का पता था न खाने का. और तो और आयोजन स्थल पर पर्याप्त संख्या में स्वयंसेवक भी नहीं थे जो लोगों को रास्ता दिखा सकें. कहा जा सकता है कि दिल्ली पुस्तक मेला और विश्व पुस्तक मेला जैसे आयोजन इस सम्मेलन की तुलना में सौ गुना अधिक व्यवस्थित होते हैं.

साहित्यकारों से अपनी अरुचि तो जनरल वीके सिंह पहले ही उन्हें दारूकुट्टे  कहकर जता चुके थे. रही सही कसर सुषमा स्वराज ने मंच से यह कहकर पूरी कर दी कि हमने साहित्यकारों को जानबूझकर नहीं बुलाया. जिस शहर में चार-चार पद्मश्री और तीन अकादमी पुरस्कार विजेता साहित्यकार रहते हों वहां आयोजित सम्मेलन में हिंदी साहित्यकारों से ऐसी बेरुखी चौंकाने वाली थी. समांतर सत्रों में जाने ऐसा कौन सा गोपनीय एजेंडा चलाया जा रहा है कि वहां पत्रकारों को प्रवेश की इजाजत ही नहीं है. शाम को मोदी शैली में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी. 

हिंदी सम्मेलन में हिंदी की भी खूब हिंदी हुई. क्या मोदी क्या शिवराज सबने जमकर अपने भाषण में अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग किया. शिवराज सिंह चौहान जब राज्यपाल का स्वागत करने बढ़े तो उद्घोषिका ने कहा कि मुख्यमंत्री शाल 'ओढ़कर' गवर्नर का स्वागत करेंगे. 

मोदी जी से आप जब उम्मीद करते हैं कि बस अब वे इससे आगे नहीं फेंकेंगे, वे तत्काल एक लंबी छलांग लगा देते हैं. मसलन कल वो कहने लगे कि वह उत्तर प्रदेश के दूधवालों को चाय पिला-पिलाकर इतनी हिंदी सीख गये. अब जाने कौन तो वे दूध वाले हैं जो खुद इतनी अच्छी हिंदी बोलते हैं. हमें लगा था चाय वाला जुमला चुनाव के बाद खतम हो गया लेकिन बिहार चुनाव आते ही मोदी के भीतर का चायवाला एक बार फिर बाहर आने को कुलबुलाने लगा है. 

बहरहाल, सबसे ज्यादा ठगे हुए वे सदस्य हैं जो बकायदा 5000 रुपये देकर यहां आए हैं. आए तो थे वे यहां हिंदी समाज के दिग्गजों से मिलने लेकिन यहां मिल रहे हैं केवल भाजपा के सांसद, विधायक और छुटभैय्ये नेते. 

००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
राजेंद्र यादव की 'पास-फेल': 2025 में अपडेट हिंदी कहानी