मीडिया ! नामवर सिंह ने नहीं तुमनेे सुर्खियाँ बटोरने वाली हेडलाइन लिखी है | Writers should meet President - Namvar Singh


मीडिया तुम्हे शर्म नहीं आयी  !

- भरत तिवारी



मीडिया ! तुमनेे सुर्खियाँ बटोरने वाली हेडलाइन लिखी है
मीडिया तुम्हे शर्म नहीं आयी?

अस्सी वर्ष के वृद्ध और बेहद-अस्वस्थ साहित्यकार प्रो० नामवर सिंह की बातों से मीडिया ने सुर्खियाँ बटोरने वाली हेडलाइन लिखी है, और प्रबुद्ध जन दिमाग ताखे में रख के पिल पड़े उनपर ...

नामवर सिंह की दी गयी सलाहों में से तुमनेे जो दस-एक शब्द चुने वो मुझे तुम्हारी नियत के खोट को दिखा रहे हैं.

तुम चाहते तो हेडलाइन ऐसी कुछ होती - 
* लेखकों को राष्ट्रपति/संस्कृति मंत्री/मानव संसाधन मंत्री पर दबाव बनाना चाहिये
* लेखकों को कुछ ठोस कार्य करना चाहिए
* लेखकों को खुल कर बात करनी चाहिए
------
मुर्ख तो हम नहीं हैं लेकिन फिरभी दोबारा से पढ़िए 'हिंदुस्तान' ने क्या छापा है और ''किस तरह'' से पेश किया कि आप ...
खबर  का लिंक ये हैhttp://www.livehindustan.com/news/national/article1-The-author-returned-Sahitya-Akademi-Award-for-the-headlines-in-the-newspapers-says-Namvar-Singh-499128.html

अखबारों में सुर्खियों के लिए लेखक लौटा रहे हैं पुरस्कार: नामवर सिंह

हिंदी के प्रख्यात मार्क्‍सवादी आलोचक डॉक्टर नामवर सिंह का कहना है कि लेखकों को साहित्य अकादमी के पुरस्कार नहीं लौटाने चाहिए, बल्कि उन्हें सत्ता का विरोध करने के और तरीके अपनाने चाहिए, क्योंकि साहित्य अकादमी लेखकों की अपनी निर्वाचित संस्था है

डॉक्टर सिंह ने देश के पच्चीस लेखकों द्वारा अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने पर कहा क़ि लेखक अख़बारों में सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह पुरस्कार लौटा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा कि लेखक क्यों पुरस्कार लौट रहे हैं। अगर उन्हें सत्ता से विरोध है तो साहित्य अकादमी पुरस्कार नहीं लौटाने चाहिए, क्योंकि अकादमी तो स्वायत संस्था है और इसका अध्यक्ष निर्वाचित होता है

यह देश की अन्य अकादमियों से भिन्न है। आखिर लेखक इस तरह अपनी ही संस्था को क्यों निशाना बना रहे हैं। अगर उन्हें कलबुर्गी की हत्या का विरोध करना है तो उन्हें राष्ट्रपति, संस्कृति मंत्री या मानव संसाधन मंत्री से मिलकर सरकार पर दबाव बनाना चाहिये और उनके परिवार की मदद के लिए आगे आना चाहिए

कविता के नए प्रतिमान गढ़ने के लिए आज से चालीस साल पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के इस शीर्षस्थ लेखक का यह भी कहना है क़ि लेखकों को कुछ ठोस कार्य करना चाहिए न क़ि इस तरह के नकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

उनका यह भी कहना है कि इस मुद्दे पर अकादमी को लेखकों का एक सम्मेलन भी करना चाहिए, जिसमें इन सवालों पर खुल कर बात हो। इस बीच पंजाबी के पांच अन्य लेखकों ने भी कल साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। इसके अलावा माया कृष्णा राव ने भी संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार लौटने की घोषणा की है। इस तरह अब तक देश में विभिन्न भाषाओं के पच्चीस लेखक ये पुरस्कार लौट चुके हैं।
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
कहानी : भीगते साये — अजय रोहिल्ला
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
थोड़ा-सा सुख - अनामिका अनु की हिंदी कहानी