
बरसात / Barsat
इरा टाक / Era Tak
— कब तक एक ही बात को लेकर बैठी रहोगी ? कितनी बार माफ़ी मांग तो चुका हूँ। अब बिना बात ही अपना और मेरा मूड खराब किये बैठी हो।
— काश माफ़ करना इतना आसान होता ! तुमसे ज्यादा तकलीफ मुझे है, न भूल पाती हूँ और न याद करना चाहती हूँ । कभी सोचा नहीं था तुम्हें प्रेम करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी तकलीफ बन जायेगा। अब तो जैसे खुद की साँसे बचाने को तुम्हारे साथ हूँ... क्योंकि मैंने खुद से ज्यादा चाहा है तुम्हें । लेकिन अब कोई उमंग नहीं रही।
— अब ख्याल रखता तो हूँ तुम्हारा। एक बार विश्वास तो करो! बीती बातें भूल जाओ प्लीज !
— कोशिश कर रही हूँ। पर बरसात में अक्सर पुराने ज़ख्म भी हरे हो जाते हैं। और तुम्हारे दिए हुए घाव तो अभी ताज़ा ही हैं।
Era Tak
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