मोदीजी राम-वास्ते बंद कीजिये ये पाकिस्तानी राग ― अभिसार शर्मा


ढाई साल पहले तक पाकिस्तान पर हमारी कूटनीतिक बढ़त इसलिए भी थी के हम पाकिस्तान केंद्रित नहीं थे

मोदीजी राम-वास्ते बंद कीजिये ये पाकिस्तानी राग  ― अभिसार शर्मा
cartoon  courtesy The Hindu



दिल्ली के चुनावों से ठीक पहले 'नसीब वाला' होने पर केजरीवाल पर तंज़, बिहार में नितीश के डीएनए पर टिप्पणी और अब राहुल गांधी और समूचे विपक्ष की तुलना पाकिस्तान के उस तबके से जो आतंकवादियों को भारत में प्रवेश करने में कवर फायर देते हैं । यानी के दिल्ली और बिहार की तरह मोदीजी ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी बीजेपी की "जीत" का रास्ता साफ़ कर दिया है ।

नोटबंदी पर प्रधानमंत्री के बयान वाकई हैरत में डालने वाले हैं । याद है वो बयान, नोटबंदी के बाद अमीरों की नींद उड़ गयी है और गरीब सुख की नींद सो रहा है? या फिर ये दावा करना के उन्हें लोग जान से मार देना चाहते हैं ? या फिर एक विज्ञापन को सच मान कर भ्रमित हो जाना और ये कहना की अब तो गरीब भी क्रेडिट कार्ड मशीन का इस्तेमाल करते है?

राम वास्ते बंद कीजिये ये पाकिस्तानी राग!
ढाई साल पहले तक पाकिस्तान पर हमारी कूटनीतिक बढ़त इसलिए भी थी के हम पाकिस्तान केंद्रित नहीं थे ।


हमारा वर्ल्ड व्यू या विश्व दर्पण उससे कहीं आगे और व्यापक था ।  अब पाकिस्तान मानो आपके लिए संजीवनी हो गयी है ।  अगर आप उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव हार गए तो क्या इन दोनों राज्यों की जनता को पाकिस्तान परस्त करार दिया जाएगा ? जैसे बिहार में नितीश और लालू की जीत के बाद पाकिस्तान में फटाखे फूटे थे ? गज़ब है मतलब! ये भाषा सिर्फ और सिर्फ समाज में दोहराव पैदा कर रही है । मंच से आप और आपकी पार्टी के होनहार ऐसा बोलते हैं और यही अनुसरण आपके भक्त करते हैं ।  जब हर नजरिया जो आपसे इत्तिफ़ाक़ नहीं रखता पाकिस्तान परस्त, देशद्रोही हो जाता है ।


आपको अंदाज़ा नहीं है के इस सोच ने परिवारों में, दोस्तों में, दफ्तरों  कैसी खाइयां बना दी हैं । क्योंकि सियासी मतभेद तो पहले भी थे,  मगर वो दोहराव में बदल रहा है । लोग अब बात नहीं करते । आपके भक्त बेकाबू हैं । आपके नाम पर ज़हर उगलते हैं ये ।  ये ज़हर ट्विटर और फेसबुक से निकल कर सीधे बर्ताव में, सीधी बातचीत में सामने आ रहा है ।  एक अपील तो कीजिए इस जहर को बंद करने के लिए ? किसने रोका है आपको ?

एक पूरी व्यवस्था काम कर रही है, जो ऐसे लोगों को निशाना बनाती है जो आपके नज़रिये से इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते या फिर आपसे सवाल करती है ।  लोगों के मोबाइल फ़ोन को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया जाता है और व्यवस्थित तरीके से, बेरहमी से, ऐसे लोगों को परेशान किया जाता है ।
पिछले 48 घंटों से मैं और राजदीप सरदेसाई इसका सामना कर रहे हैं, क्योंकि किसी प्रभावशाली व्यक्ति ने हमारे मोबाइल फ़ोन्स सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिए हैं और मोबाइल लगातार बज रहा है । 
मुझसे पूछा जा रहा है के तुम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नोटबंदी से गरीबों पर हो रहे प्रभाव पर क्यों रिपोर्ट करते हो । बंगाल जाओ । देखो, वहां कैसे हिंदूओं का नरसंहार हो रहा है ।  न जाने कौन से अखबार और चैनल्स देखते हैं ये लोग ।  उनकी दुखती रग पर हाथ मेरी इस रिपोर्ट मे रख दिया

मुझसे पूछा जा रहा है के तुम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नोटबंदी से गरीबों पर हो रहे प्रभाव पर क्यों रिपोर्ट करते हो । बंगाल जाओ । देखो, वहां कैसे हिंदूओं का नरसंहार हो रहा है ।  न जाने कौन से अखबार और चैनल्स देखते हैं ये लोग ।  उनकी दुखती रग पर हाथ मेरी इस रिपोर्ट मे रख दिया


राष्ट्रवादी-गुंडे न्यूज़ चैनल्स के दफ्तरों के आगे धरना देते हैं, क्योंकि फलाना एंकर ने उन्हे ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया है ।  आप देख रहे हैं ये सब क्या हो रहा है? मानो कल्पना से भी विचित्र ।
ऐसा लगता है के किसी शराबी ने कोई परिकथा लिख दी है और हम सब उस कहानी के पात्र हैं ।  
परी कथा की जगह कोई बुरा ख्वाब भी लिख सकता था, मगर इस बात को कैसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है के देश में इस वक़्त अच्छे दिन चालू आहे ।  लिहाज़ा भक्तगणों की भावनाओं को कैसे आहत कर सकता हूँ ।

सच तो ये है के जिस समाज,  जिस सोच को आप बढ़ावा दे रहे हैं, उसमें विरोध, या मुख़्तलिफ़ सोच की कोई गुंजाइश नहीं है । मैं नहीं जानता के ये सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है कि नहीं, मगर यदि ये सोच सफल हुई, तो भारत, भारत नहीं रहेगा ।  सब ख़त्म हो जायेगा । भारत किसी भी सूरत में एकांगी या एक तरफ़ा सोच वाला देश नहीं हो सकता ।
किसी व्यक्ति की सोच पूरे देश पर तो कतई थोपी नहीं जा सकती ।
लोगों को इस कदर निशाना नहीं बनाया जा सकता ।   
खासकर वो पत्रकार,  जिनके पास खुद की रक्षा करने का जरिया भी नहीं है । या फिर  चैनल्स को कथित तौर पर ये फरमान भेजना कि अगर आम आदमी पार्टी का नेता चर्चा में आया तो हम नहीं आएंगे ।  सवाल सिर्फ एक पार्टी का नहीं ।  बीजेपी सवालों के जवाब देने में पूरी तरह असमर्थ दिखती है । उसकी हालात उस शुतुरमुर्ग की तरह हो गयी है, जो खतरे को आता देख ज़मीन में अपना सर गाड़ देती है ।

ये वो बीजेपी नहीं जिसके वाजपेयी मेरे हीरो हैं ।  
ये वो बीजेपी नहीं जिसमे सुषमा स्वराज, प्रमोद महाजन और खुद प्रधानमंत्री मोदी जैसे प्रवक्ता थे, जो प्रतिकूल हालात के हर सवाल का जवाब देने को तैयार रहते थे ।  ऐसे हालात उनके लिए चुनौती थे और ऐसे में उनके प्रवक्ता और भी खिल कर सामने आते थे । अब तैयारी के लिहाज़ से सबसे कमज़ोर और रक्षात्मक दिखाई देते हैं पार्टी प्रवक्ता ।  नहीं जानता कि कहीं ये अध्यक्ष महोदय का प्रभाव तो नहीं ?  जो हर इंटरव्यू में उग्र और सवालों को टालते दीखते हैं ।  जो कठिन सवाल करता है, उसपर निजी हमले करने लगते हैं ।

ये सब नहीं चलेगा ।  कुछ और नहीं तो अपने उस जुमले को ही याद कर लीजिये ।
ये बंद नहीं हुआ तो...जनता माफ़ नहीं करेगी । 
Abhisar Sharma

Journalist , ABP News, Author, A hundred lives for you, Edge of the machete and Eye of the Predator. Winner of the Ramnath Goenka Indian Express award.

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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