ग़ैर-क़ानूनी मतसंग्रह — ओम थानवी @omthanvi on #JagranExitPollControversy




Jagran Exit Poll Controversy!! Om Thanvi asks EC to act as its supposed to.

विज्ञापन प्रबंधक को आगे करते तो साबित होता कि कथित ‘एग्ज़िट पोल’ पैसा लेकर छापा गया था

— ओम थानवी 

Dainik Jagran online editor arrested for posting UP exit poll

Shashank Shekhar Tripathi, online editor of Hindi daily Dainik Jagran, was granted bail by the district court later in the afternoon.(Indian Express)
एक सम्पादक गिरफ़्तार हुआ, रिहा हुआ। जबकि कल जागरण के सीईओ, जो प्रधान सम्पादक भी हैं, ने कहा था कि वह विज्ञापन विभाग की कारगुज़ारी थी।

तो ठीकरा पत्रकार के सिर पर क्यों फूटा, जो मालिक का हुकुम भर बजाता है?

यह तो किसी बीएमडब्लू-कांड जैसा हो गया, कि गाड़ी कोई चला रहा था, पुलिस के आगे किसी और कर दिया!
पहुँच हो तो क़ानून की आँखों में धूल झोंकना मुश्किल नहीं होता। थाना हो चाहे निर्वाचन आयोग।


सम्पादक को आगे करने से 'जजमेंट' की लापरवाही ज़ाहिर होती है। 

विज्ञापन प्रबंधक को आगे करते तो साबित होता कि कथित ‘एग्ज़िट पोल’ पैसा लेकर छापा गया था।

तब यह पड़ताल भी होती कि पैसा किसने दिया, किसकी अनुमति से लिया?

फ़र्ज़ी मतसंग्रह में भाजपा को आगे बताने के लिए पैसा कांग्रेस या उसके समर्थक तो देने से रहे! ख़याल रहे, मतसंग्रह करने वाली कम्पनियाँ इस काम के लाखों रुपए लेती हैं। तब और ज़्यादा जब उसमें हेराफेरी भी करनी हो।

आयोग आँखें खोलकर देखे; सवाल गिरफ़्तार करने न करने का नहीं, इस पड़ताल का है कि क्या यह कोई धंधा अर्थात् षड्यंत्र तो नहीं था?
From facebook wall of Om Thanvi 

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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