head advt

शराब तो चूहे पी गए — अशोक चक्रधर



बिल्लियो मूंछें झुकाओ! 

— अशोक चक्रधर

शराब तो चूहे पी गए — अशोक चक्रधर
 
                                       
चौं रे चम्पू! सराबबंदी ते कोई असर परौ?

हर पाबंदी, आज़ादी को निमंत्रण देती है। जो नहीं पीते, उनके अन्दर भी पीने की कामना जगा जाती है। माहिर मेहरबानों द्वारा घर में सीधे बार पहुंचा दी जाती है। एक समाचार, जो अब मैं आपको बताने जा रहा हूं, शायद आपने पढ़ा हो। देखिए, समाचार बनाने का एक तरीक़ा पत्रकार का है, लेकिन चित्रकार, फ़िल्मकार और काव्यकार भी अपने तरीके से समाचार गढ़ सकते हैं। मेरे अंदर चारों प्रकार के कौशल हैं। दिखाऊं?


हां कलाकार, दिखा!

पटना में शराबबंदी के बावजूद असंख्य गलियारों में असंख्य लोग झूम रहे हैं। हैरानी है कि जब माल की कोई वैधानिक सप्लाई हुई ही नहीं, फिर ये लोग झूमने का नाटक क्यों कर रहे हैं? पता लगा कि चूहों ने अपने मालख़ानों से घर-घर और बार-बार तक तिश्ना-लबों के हितार्थ मद्यापूर्ति के लिए असंख्य लम्बी-लम्बी सुरंगें बनाकर पाइप लाइनें डलवाईं हैं। यह न तो नीति को दिखाई दिया, न ईश को और न नीतीश को। दिखाई तो तब देता जब काम भूमिगत न हो रहा होता। एक पत्रकार ने इस घटना को इस तरह लिखा, ‘जब एसएसपी ने पूछा कि बरामद शराब कहां है, तो थानेदारों ने कहा, सर, शराब तो चूहे पी गए!’ अब चचा! एक थानेदार बोले तो झूठ माना जा सकता है, सारे के सारे बोल रहे हैं तो सत्य होगा!

यानी, चूहन्नै मानव-देह धल्लई!

नहीं! दृश्य यह है कि उच्चाधिकारी बिल्ली ने जब मूंछों पर ताव देकर चूहों को लाइनहाज़िर किया तो सुरूरित सुधुत्त संगठित चूहे, तस्करी की मधुकरी और नमकीन तश्तरी सामने रखकर, ताव में अपनी-अपनी पूंछों के बल खड़े हो गए। भावार्थ यह है कि हमारे देश का कोई एसएसपी, प्रमाणों के अभाव और तर्कों के स्वभाव के कारण स्थानीय थानेदारों का बाल-बांका नहीं कर सकता। चूहे जब अख़बार की रद्दी के रूप में ‘हिन्दुस्तान’ को खा सकते हैं तो यहां तो चख-बार खोलने भर का मामला है। बिहार के चूहे यूपी के चूहों से कह रहे हैं, बिल बनाओ, शराब लाओ, क़बाब पाओ। सारे चूहे पूंछ के बल खड़े होकर सैल्यूट मार रहे हैं। बिल्लियो, अनदेखा करो, मूंछें झुकाओ!    

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-05-2017) को
    "लजाती भोर" (चर्चा अंक-2631)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    जवाब देंहटाएं

गलत
आपकी सदस्यता सफल हो गई है.

शब्दांकन को अपनी ईमेल / व्हाट्सऐप पर पढ़ने के लिए जुड़ें 

The WHATSAPP field must contain between 6 and 19 digits and include the country code without using +/0 (e.g. 1xxxxxxxxxx for the United States)
?