😂 समोसा साहित्य का चिर सखा — सुधीश पचौरी sudhish pachauri blog



साहित्य एक समोसा

 — सुधीश पचौरी

मैं देख रहा था कि साहित्य का अंत हो रहा है और उसका चिर सखा समोसा कोने में पड़ा रो रहा है।
मुझे पता था कि एक दिन ऐसा आएगा कि मंडी हाउस के गोल चक्कर के बीच खडे़ होकर साहित्य बिसूरता हुआ मिलेगा। किशोर कुमार का पुराना गीत गाता हुआ — कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन। वह मंडी हाउस के गोल चक्कर में फंसा जिस-तिस से कहता मिलेगा — बाबा कोई तो निकालो यहां से, मुझे बचा लो! सुबह से साहित्य अकादेमी की बाउंड्री को निहार रहा हूं कि कोई आएगा मुझे निकालेगा। मैं अकादेमी में जाऊंगा और चाय-समोसे खाऊंगा।

sudhish pachauri

वह बके जा रहा था — सोचकर आया था कि सुबह अकादेमी की लाइब्रेरी का सेवन करूंगा। गोष्ठीकाल शुरू हो जाएगा, तो अकादेमी की चाय को उपकृत करूंगा। गोष्ठी का लंच तो करना ही होगा, फिर शाम के चाय-समोसे भी वहीं लूंगा, और मेट्रो से घर लौटूंगा। रात में जमके नींद आएगी। नींद में सपना आएगा। सपने में मुझे अकादेमी दिया जा रहा होगा।

पर जोरों से भागते ट्रैफिक की लंबी बड़ी गाड़ियों के बीच के घमासान में साहित्य की औकात पहले भी कुछ नहीं थी और अब जब से अकादेमी का बजट कटा है, तब से तो चाय-समोसे भी गए।

साहित्य आखिर था क्या महाराज?

तू मुझे बुला, मैं तुझे बलाऊं 

कुल मिलाकर, साहित्य एक समोसा भर ही तो था। दोनों सगे भाई की तरह दिखते थे — दोनों एकदम थ्री डाइमेंशनल। दोनों में रूप और अंतर्वस्तु की अद्भुत लीला। तीन कोन, तीन लोक के बराबर।

साहित्य और समोसे का एक ही भाव है। दोनों ‘सकारवादी’ हैं। दोनों सबका हित करते हैं। दोनों में ‘रूप और अंतर्वस्तु’ बराबर होती है। दोनों को एक ही तरह से ‘विखंडित’ या ‘डिकंस्ट्रक्ट’ किया जाता है। अगर आप रूप को तोड़कर गरमागरम अंतर्वस्तु तक जल्द पहुंच गए, तो तय मानिए कि सब कुछ हलक को झुलसाने वाला हो जाएगा। ऐसे में, भावक या रसिक की स्थिति वही होती है, जो गूंगे के गुड़ के मारे की होती है कि गरम मसालेदार आलू गाल से चिपका है और गाल जले जा रहा है, लेकिन भावक से न बोला जा रहा है, न निगला जा रहा है। उसकी आंखों से विवशता के आंसू निकले पड़ रहे हैं। यही असली ‘रस-दशा’ है। लेकिन यह ‘रस दशा’ अब प्राप्त नहीं होने वाली।

"दी और दा" और हिंदी साहित्य

सरकार ने कह दिया है कि अकादेमी का बजट कटेगा। अकादेमी कुछ अपने आप भी कमाए। साहित्य क्यों सरकार के भरोसे रहे? जब संतन को सीकरी सों कोई काम नहीं, तो सीकरी को ही क्यों संतों से काम हो? अरे भइया ‘साठ साल’ के हो गए, अब तो स्वायत्त बनो। कब तक पब्लिक सेक्टर की तरह फ्री के समोसे उड़ाता रहेगा? कुछ कमाओ, तो खर्च करो।

साहित्य की आत्मा बजट में होती है। बजट कटा, तो सब कटा। उसमें भी सबसे पहले समोसा कटा, क्योंकि वही ‘सुकट्य’ था। मैं देख रहा था कि साहित्य का अंत हो रहा है और उसका चिर सखा समोसा कोने में पड़ा रो रहा है।

सहित्य-विरोधी सम्मान घोषित होगा ?

ऐसे ही संकटों में साहित्य की नई सिद्धांतिकियों का जन्म होता है। जब-जब संकट आता है, साहित्य की नई सिद्धांतिकी अपने आप निकल पड़ती है। जैसे यह सिद्धांतिकी कि ‘साहित्य एक समोसा है’। लेकिन साहित्य में समोसे की भूमिका को कभी समझा ही नहीं गया। गोष्ठी में विद्वान आए और सबको बोर करके उठ लिए। लेकिन जैसे ही हॉल से बाहर समोसे के दर्शन होते हैं, वैसे ही आपके कंठ पर सरस्वती विराज जाती है — वाह, क्या बात है! वक्ता समझता है कि आप उसके वक्तव्य की सराहना कर रहे हैं, जबकि आप समोसे की सराहना कर रहे होते हैं।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।
livehindustan.com se sabhar)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. साहित्य अकादमी में अपनी अपनी मंडीयाँ खुली है कोई समोसे के संग में मान उदरस्थ कर गया होगा किन्तु पाठकीय अकादमी नाम की कोई भावना आज भी ढक्कनदार मर्तबान से ढँकी धूप छांह की फिकर से दूर भूरी भूरी प्रशंसा भाव से आप सभी को पढ़ती रहने का वादा निभाती रहेगी | साहित्य साधना गोलमेज़ गलियारों की गोष्ठी से चर्चाओं की चुपड़ी खट्टे-तीखे मीठे अबोले से बेपरवाह किसी एकांत निग्रह को स्थापित कर धूम मचा ही लेगी;इन्हीं कुरकुरे खस्ता समोसे के ज़ायके की तरह ... मस्त मनविभोर और भावप्रवाही |

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा