असग़र वजाहत : श्रेष्ठ साहित्य मुद्दों की पहचान से ही नहीं बनता


आनंद कुरेशी के कहानी संग्रह 'औरतखोर' का लोकार्पण
आनंद कुरेशी के कहानी संग्रह 'औरतखोर' का लोकार्पण



आनंद कुरेशी के कहानी संग्रह 'औरतखोर' का लोकार्पण 


"बहुत-सा श्रेष्ठ साहित्य भी विभिन्न कारणों से पाठकों तक पहुँच नहीं पाता। आनंद कुरेशी जैसे कथाकार को भी व्यापक हिन्दी पाठक वर्ग तक पहुंचाने के लिए हम सबको प्रयास करने होंगे।" हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक असग़र वजाहत ने डूंगरपुर के दिवंगत लेखक आनंद कुरेशी के ताजा प्रकाशित कहानी संग्रह 'औरतखोर' के लोकार्पण समारोह में कहा कि डूंगरपुर आकर उन्हें साहित्य की ऐसी गोष्ठियों की अर्थवत्ता का फिर से गहरा अहसास हुआ है।

साहित्य के भी अनेक स्तर होते हैं...आवश्यक नहीं कि लोकप्रिय समझे जाने वाले साहित्य का पाठक आगे जाकर गंभीर साहित्य का पाठक नहीं हो सकता। — असग़र वजाहत


डूंगरपुर जिला पुस्तकालय के सभागार में हुए इस समारोह में राजस्थान विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ रेणु व्यास ने आनंद कुरेशी जी के संस्मरण सुनाए तथा पूना विश्वविद्यालय की डॉ शशिकला राय के कुरेशी की कहानी कला पर लिखे आलेख का वाचन किया।

कुरेशी के अभिन्न मित्र और शायर इस्माइल निसार ने भावुक होकर कहा कि कुरेशी जी के साथ व्यतीत आत्मीय पलों को शब्दों में बयान कर पाना उनके लिए संभव नहीं है। वागड़ विभा के सचिव सत्यदेव पांचाल ने कहा कि आज आनंद कुरेशी जी आज भी अपनी कहानियों के माध्यम से जीवित हैं जो बताता है कि साहित्यकार कभी नहीं मरता। पांचाल ने कहा कि कुरेशी जैसे लेखक हमारे लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहेंगे। चित्तौडगढ़ से आए कुरेशी जी के मित्र और 'औरतखोर' के सम्पादक डॉ सत्यनारायण व्यास ने कहा कि अपने अभिन्न मित्र के बारे में बात करना जैसे अपने ही बारे में बात करना है। उन्होंने कुरेशी को याद करते हुए कहा कि उनका स्वाभिमान राजहंस की तरह गर्दन उठाए रहता है। स्थानीय महाविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक डॉ हिमांशु पंडया ने सत्तर के दशक के एक हिन्दी कहानीकार की व्यापक जागरूकता को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसी दोस्तियाँ और साहित्यिक अड्डेबाजी बची रहनी चाहिए ताकि आनंद कुरेशी जैसे कई लेखक इस शहर को पहचान दिलाएं।

इससे पहले प्रो असग़र वजाहत, उदयपुर विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य नवल किशोर, कवि-समालोचक डॉ सत्यनारायण व्यास, वागड़ विभा के सचिव और स्थानीय कवि सत्यदेव पांचाल तथा दिल्ली से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका 'बनास जन' के सम्पादक डॉ पल्लव ने आनंद कुरेशी के ताजा प्रकाशित कहानी संग्रह 'औरतखोर' का  लोकार्पण किया। कुरेशी जी के सुपुत्रों  हरदिल अजीज और इसरार ने आयोजन में अपने परिवार की तरफ से आभार दर्शाया।

अध्यक्षता कर रहे प्रो नवल किशोर ने कहा कि हार एक सापेक्ष शब्द है। आनंद कुरेशी जिन्दगी की लड़ाई हार गए पर लेखकीय जीवन में नहीं। आनंद कुरेशी को उन्होंने अभावग्रस्त समाज के लिए संघर्ष करने वाला लेखक बताते हुए कहा कि उनके जैसे लेखकों को आगे लाना चाहिए जो अन्याय व अत्याचार का विरोध करने का साहस दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि आज संचार माध्यमों में शुद्ध मनोरंजन परोसा जा रहा है मनुष्य को सोचने को विवश नहीं करता। प्रो नवल किशोर ने कुरेशी की कुछ चर्चित कहानियों का भी उल्लेख किया। संयोजन प्रसिद्ध कहानीकार दिनेश पांचाल ने किया और अंत में कवि जनार्दन जलज ने धन्यवाद ज्ञापन किया। आयोजन में राजकुमार कंसारा, चंद्रकांत वसीटा, मधुलिका, हर्षिल पाटीदार, हीरालाल यादव, डॉ कपिल व्यास, प्रज्ञा जोशी, चन्द्रकान्ता व्यास तथा हेमंत जी सहित शहर अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
जंगल सफारी: बांधवगढ़ की सीता - मध्य प्रदेश का एक अविस्मरणीय यात्रा वृत्तांत - इंदिरा दाँगी
दमनक जहानाबादी की विफल-गाथा — गीताश्री की नई कहानी
ब्रिटेन में हिन्दी कविता कार्यशाला - तेजेंद्र शर्मा
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
वैनिला आइसक्रीम और चॉकलेट सॉस - अचला बंसल की कहानी