राजदीप देसाई : मेरी बात
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक बड़ा कदम उठाते हुए, तीन तलाक़ को असंवैधानिक क़रार देने से, इस्लामिक शरीयत के तहत, पीछे धकेलने वाली सामाजिक प्रथा का अंत हुआ है।
सन्देश स्पष्ट है कि अनुच्छेद 25 के तहत मिलने वाली, धर्म की स्वतंत्रता परम नहीं वरन समानता के अधिकार पर निर्भर है।
सबकी सहमति बनाने के लिए, इससे, एक बड़ी बहस — हर समुदाय को जेंडर जस्टिस की कसौटी पर परखने वाली 'समान नागरिक संहिता' और निजी कानूनों को संहिताबद्ध करने की आवश्यकता पर — छिड़नी चाहिए।
यह बहस मुस्लिम-केन्द्रित नहीं हो सकती इसमें नागरिक पहले होगा: हिन्दू उत्तराधिकार से लेकर मुस्लिम तलाक कानून तक; हर धर्म की कुप्रथाओं पर बहस करते हुए ‘न्यू’ इण्डिया का निर्माण किया जाए। लेकिन भूलियेगा नहीं, सिर्फ कानूनी बदलावों से कुछ नहीं होगा, सोच भी बदलनी होगी।
तब तक, भविष्य के प्रति आशा जगाने वाले बहुमत के निर्णय और हिम्मती महिलाओं के लिए कि वो मुल्लाओं से टक्कर ले सकीं.... थ्री चियर्स !!! ।
सबकी सहमति बनाने के लिए, इससे, एक बड़ी बहस — हर समुदाय को जेंडर जस्टिस की कसौटी पर परखने वाली 'समान नागरिक संहिता' और निजी कानूनों को संहिताबद्ध करने की आवश्यकता पर — छिड़नी चाहिए।
यह बहस मुस्लिम-केन्द्रित नहीं हो सकती इसमें नागरिक पहले होगा: हिन्दू उत्तराधिकार से लेकर मुस्लिम तलाक कानून तक; हर धर्म की कुप्रथाओं पर बहस करते हुए ‘न्यू’ इण्डिया का निर्माण किया जाए। लेकिन भूलियेगा नहीं, सिर्फ कानूनी बदलावों से कुछ नहीं होगा, सोच भी बदलनी होगी।
तब तक, भविष्य के प्रति आशा जगाने वाले बहुमत के निर्णय और हिम्मती महिलाओं के लिए कि वो मुल्लाओं से टक्कर ले सकीं.... थ्री चियर्स !!! ।
1 टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (24-08-2017) को "नमन तुम्हें हे सिद्धि विनायक" (चर्चा अंक 2706) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'