विष्णु नागर को निराला स्मृति सम्मान आज दिया जाएगा। इस मुबारक मौक़े पर पढ़िए पल्लव लिखित सुंदर-सुंदर गद्य ‘नागर के संमरण’ जिसमें वे चेताते हुए लिखते …
पढ़िए डॉ निधि अग्रवाल की एक अच्छी व कलात्मक कहानी 'पाँचवें पुरुष की तलाश में' ! ~ सं०
‘धीरा’ सधी हुई कहानी है। विजयश्री तनवीर की कहानियों में वह प्रवाह और शैली है जो आपको फैन बना सकती है। पढ़िएगा और अपनी प्रतिक्रिया भी ज़रूर दीजिएगा ~ भ…
"मेरे ख़्याल से हिन्दी साहित्य जगत में फ़्लर्ट करने की कला, सिर्फ दो जन जानते हैं, राजेन्द्र यादव और मनोहर श्याम जोशी।" मृदुला गर्ग की लि…
अच्छा हुआ कि मित्र विवेक मिश्र से उनका मन्नूजी वाला यह इंटरव्यू मांग लिया। यह दरअसल एक टिपिकल इंटरव्यू नहीं है इसमें मन्नू भंडारीजी ने कई बातों का ख…
युवा रचनाकार दिव्या श्री का परिपक्व होता लेखन उनकी कहानी 'प्रेम गली अति सांकरी' के माध्यम से हिन्दी साहित्य के पाठकों को एक अच्छे लेखक के आग…
मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ रात भर नहीं आती मिर्ज़ा ग़ालिब का यह शेर बड़े दर्दनाक रूप में जयश्री रॉय की कहानी 'गुलमोहर' पर सही बैठता ह…
डॉ शशि थरूर का लेख: किसी परीकथा से भी आगे है सोनिया गांधी की जीवनकथा, जो गुजरी है बेहद दुरूह रास्तों से! सोनिया गांधी की असंभव कहानी! साभार नवजीव…
The real problem is that the Sangh Parivar dislikes diversity. and the film world embodies the very idea of India's diversity in the way in whic…
सत्यजित राय की कहानियाँ ब्राउन साहब की कोठी
मर्म, मुहब्बत और हमारी मानवीयता को उनकी गहरी परतों तक ले जाकर, बगैर कुछ ज़्यादा कहे, चित्त में बैठा देने वाली कहानी कैसी होनी चाहिए... बेशक यशपाल की …
देख तमाशा लकड़ी अंश 'काशी का अस्सी’ काशीनाथ सिंह शब्दांकन के पाठक कम मानीखेज नही हैं कि उनके मान की चिंता करो। चलते जाओ। बढ़ो। काशीनाथ सिंह …
परसाई जी को पढ़ते रहना चाहिए — उनका दर्शन हमारे भीतर बना रहेगा। हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य में व्यंग्य के आधार स्तंभ तो हैं साथ ही, उनके व्यंग्य का …
चलो, जो भी हो। मगजपच्ची से फायदा? करना है, तो करना है। आम बिना गुठली के आम नहीं। साथ उसको भी चाटना पड़ता है। आम खाना है, गुठली नहीं चाटनी, कैसे चलेग…
और सचमुच लड़की की श्रृंगारपुरी नत्थ में जो मुस्कराहट का मोती चमक रहा था, उसका रंग झलना कोई आसान नहीं था। मैंने एक रुपया उसकी हथेली पर रखा। और जब लौट…
Nirmal Varma Ki Kahani 'ANDHERE ME' बूंदें आती हैं, पवेलियन की छत टप-टप करती है...और मैं समझ नहीं पाता कि मेरे गालों पर जो बूंदें हैं, वे बा…
यदि कोई कहानी आपको उसे पढ़ते हुए लगातार अचंभित कर रही हो तो आप लेखक के बारे मे सोचा कीजिए। मोहन राकेश की 'ग्लास टैंक' पढ़ते हुए यही सोचता रहा …
स्त्री विमर्श उस रोज़ प्रख्यात हिंदी व मैथिली कथाकार उषाकिरण खान जी साहित्य अकादमी के 'कथासंधि' कार्यक्रम में भाई कुमार अनुपम से बातचीत कर र…
नवाब शुजाउद्दौला बहादुर को शहर की दुरुस्ती का ऐसा शौक़ था कि हर सुबह-शाम सवार होकर सड़कों और मकानों का मुआयना करते। मजदूर फड़वे और कुदालें लिए हुए सा…
Mamta Kalia's literary brilliance is mind-blowing but her understanding of the human psyche, especially of women is simply phenomenal. She sho…