नमिता गोखले को शताब्दी राष्ट्रीय पुरस्कार @NamitaGokhale_ ‏


नमिता गोखले को असम साहित्य सभा शताब्दी राष्ट्रीय पुरस्कार


Namita Gokhale (Photo: Bharat Tiwari)

लेखक अपना काम यानी 'लेखन' किये जा रहा होता है; अमूमन इस बात से बेपरवाह रह पाना कि उसका लेखन व्यावसायिक स्तर पर कहाँ जा रहा है, साहित्य की राजनीतियाँ, उसे लेखक और उसके लेखन के प्रति कैसी-कैसी करवटें बदल रही हैं - बहुत मुश्किल होता है; लेकिन जो साहित्यकार इस मुश्किल को मुश्किल नहीं पाता, उसके लेखन की पहुँच, हर भाषा के साहित्य-प्रेमी तक पहुँचती ज़रूर है. वरिष्ठ उपन्यासकार नमिता गोखले इसी दुर्लभ श्रेणी की साहित्यकार हैं, इसलिए 'असम साहित्य सभा' का उन्हें ' साहित्य के लिए शताब्दी राष्ट्रीय पुरस्कार' देने का निर्णय, नमिता गोखले के लेखन का सम्मान होने के साथ ही साथ, शताब्दी मना रही, 'असम साहित्य सभा' की पुरस्कार चयन समिति के, सदस्यों और अध्यक्ष ध्रुबा ज्योति बोरा की, वर्तमान भारतीय साहित्य की गहरी समझ का परिचय भी दे रहा है.



असम ने अपने साहित्य को हमेशा ही गंभीरता से लिया है. कोहिमा, नागालैंड में, 'असम साहित्य सभा' के औपचारिक गठन से पहले, 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, असम के साहित्यकार पद्मनाथ गोहेन बरुआ द्बारा  दिसंबर 1895 में 'कोहिमा साहित्य सभा' की स्थापना हो गयी थी.

100 वर्ष पूर्व, दिसम्बर 1917 में पद्मनाथ गोहेन बरुआ की अध्यक्षता में 'असम साहित्य सभा' का जन्म हुआ, और  सरत चंद्र गोस्वामी सभा के पहले सचिव थे. गौर किये जाने वाला विषय है कि सभा एक गैर सरकारी, गैर लाभ,  साहित्यिक संगठन है और ध्रुबा ज्योति बोराह इसके 78वें अध्यक्ष हैं.

नमिता गोखले, की सम्मान दिए जाने की घोषणा से हो रही ख़ुशी में, सभा का साहित्य से १०० से अधिक वर्ष के जुड़ाव का होना, साफ़ झलक रहा था. नमिता गोखले का नवीनतम और चर्चित उपन्यास,‘थिंग्स टू लीव बिहाइंड’ 1840 से 1912 की कहानी कहता  ब्रिटिश भारतीय अतीत और उभरती हुई आधुनिकता की मिली-जुली विरासत है, नमिता की अब तक 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. बहुमुखी प्रतिभावान गोखले लेखन के अलावा साहित्य के कई क्षेत्रों में, उसी बेपरवाह लगन के साथ, जिसका ज़िक्र ऊपर है, निरंतर कार्यरत हैं. 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' की सह-आयोजक होना, साहित्य के लिए उनके द्वारा किये जा रहे प्रमुख कार्यों में शामिल है.  

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Eminent writer Namita Gokhale has been nominated for the first Centenary National Award for Literature, to be conferred by one of the most prestigious literary bodies in India -- the Asam Sahitya Sabha -- for her outstanding literary contributions as well as her service to the nation in supporting and showcasing literary talent and creating a literary environment in the country.

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