एक जान दो ज़बान ― अशोक चक्रधर




भाषाएं कैसे क़रीब आएंगी

 ― अशोक चक्रधर



चौं रे चम्पू

एक जान दो ज़बान

                                          —अशोक चक्रधर

चौं रे चम्पू, सबसे तेज़ कौन सौ पंछी उड़ै?

सबसे तेज़ उड़ने वाला पक्षी है समय। पता ही नहीं लगता कि कैसे इतनी रफ्तार से फुर्र हो जाता है। हर दिन उसकी उड़ान का अंदाज़ नया होता है। कई बार उड़ना चाहे तो आंधियां आ जाती हैं और कई बार जब आसमान साफ़ हो उसका उड़ने का मन ही नहीं करता। समय बड़ा मूडी होता है। इसी सप्ताह जश्न-ए-अदब के उद्घाटन सत्र में ऐसी आंधी आई कि तम्बू उखड़ गए। सबने मिलकर समेटा-बटोरा। अगले दिन तम्बू जम गए। सेमीनार हुए, चर्चाएं हुई। एक परिचर्चा के दौरान एक उर्दू के एक शायर बोले कि डिक्शनरी का क्या है, वह तो अल्फ़ाज़ का कब्रिस्तान है। अब चचा, मेरी तो सुंई अटक गई। अगर पढ़ने में रुचि ही न हो तो सारे पुस्तकालय ही क़ब्रिस्तान हैं।

सही कही उन्नैं! कबरिस्तान ते तौ निकर ऊ आमिंगे, समसान में तौ कछू न बचैगौ। पर उन्नैं ऐसी बात कही चौं?

दरसल वे शायरी के पक्ष में बोलना चाहते थे। कोई भी शायर डिक्शनरी देख कर ग़ज़ल नहीं कहता, लेकिन वहां बात चल रही थी ‘एक जान, दो ज़बान, एक हिंदुस्तान’ विषय पर। चचा, किसी भी व्यक्ति का अपनी एक भाषा पर पूरा अधिकार होता है, आसपास गूंजने वाली दूसरी भाषाएं भी धीरे-धीरे समझ में आने लगती हैं। अगर दो ज़बानों को एक जान बनाना है, तो अपनी जानेजानां को भी जानना ज़रूरी है। कुछ मानते हैं कि लिपियों का अगर संकीर्ण कोटर बना लोगे कि ये हिंदी वाला है, ये उर्दू वाला है, भाषाएं कैसे क़रीब आएंगी! हिंदी हिंदुओं की भाषा है और उर्दू मुसलमानों की, ऐसा सोचने से तो एक जान नहीं हो पाएंगी। भाषाएं मेलजोल से विकसित होती हैं। आप बोलचाल की हिंदुस्तानी हिंदी में एक वाक्य बोलिए, आपको पता ही नहीं होगा कि कौन सा शब्द मूल रूप से संस्कृत, पाली-प्राकृत, अरबी, फ़ारसी, डच, टर्किश है, जर्मन का लैटिन है, कौन तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम या लोकभाषाओं से आया है।

सब जानैं जे बात।

फिर भी चचा, अपनेपन से सोचना होगा। निदान मैं बताऊंगा, अभी ज़रा जल्दी में हूं।

कबहुं तसल्ली ते ऊ बैठ्यौ कर।                             

-- 


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg