गंगाजमुनी कृष्ण जन्माष्टमी — कमाल है आईजीएनसीए का



कृष्ण जन्माष्टमी





अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन की आवाज़, उन दिनों की दोस्त है जब दुनिया खूबसूरत हो रही थी, और उसकी खूबसूरती को हुसैन बंधुओं का साथ मिल रहा था।

'दो जवां दिलों का ग़म दूरियाँ समझती हैं/ कौन याद करता है हिचकियाँ समझती हैं' की अनोखी सदाबहार कशिश जब कृष्ण के लिए, गणपति के लिए, या फिर माँ भवानी के लिए गाये जाते भजन में उतरे, तब भक्ति में प्रेम कितना अहम है ― याकि सबसे अहम है ― हमारी आत्मा हमें यह अहसास अपनी तृप्तता से बतलाती है।

कमाल है आईजीएनसीए का। कृष्ण जन्माष्टमी को भरपूर धूमधाम से हुसैन बंधुओं की आवाज़ के साथ IGNCA में मनाया जाना, कमाल नहीं तो फिर क्या है। साधुवाद सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी और उनकी टीम को जो 100% प्रफुल्लित थी और कृष्ण की और भारत की अद्वितीय फिलॉसफी 'गंगाजमुनी संस्कृति' को पोषण दे रही थी।

अब चूंकि यह समय कुछ ऐसा है कि हम ऐसी बातों पर विश्वास नही कर पाते इसलिए कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें जिनसे मेरे उपरोक्त कथन की सत्यता प्रमाणित होगी और भक्ति और प्रेम बंधनों को तोड़, आप तक पहुँचेगा और मैं हम सबको बधाई दूंगा : कृष्ण जन्माष्टमी मुबारक हो!



Couple de center of arts.  IGNCA member serretary Dr Sachchidanand Joshi with wife Malvika Joshi


Dr Achal Pandya, sitting in a corner of the stage, enjoying the music. 


The Hussain Brothers




Krishna overlooking the singers and the audience, blessing all on His birthday


Ustad Ahmed Hussain
Itroducing Hussain Brothers... Dr Achal Pandya

Ahmed and Mohammed Hussain and his team with IGNCA M.S. Sachchidanand Joshi, his wife Mrs Malvika Joshi and others

IGNCA's Krishna birthday food




Krishna of IGNCA

With old times fav Ustad Mohammad Hussain.


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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