तस्वीरें बोलती हैं - दीप्ति कुशवाह


तस्वीरें बोलती हैं 





इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, अध्यक्ष  रामबहादुर राय और भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के.जी.सुरेश | फोटो: भरत एस तिवारी

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में दिनांक 11 फरवरी 2019 को पत्रकारिता पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी “तस्वीरें बोलती हैं” का उद्घाटन हुआ। यह प्रदर्शनी 11 से 14 फरवरी तक चलेगी। इस प्रदर्शनी का आयोजन हिंदी के नामी साहित्यकार और पत्रकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की जन्मतिथि के अवसर किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के.जी.सुरेश थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष  रामबहादुर राय ने की।

प्रदर्शनी के विषय में दीप्ति कुशवाह ने कहा कि उन्होंने इस पोस्टर में पत्रकारिता के सभी पहलुओं को प्रदर्शित किया है। उन्होंने इस प्रदर्शनी में प्रथम समाचार पत्र से लेकर आज तक के समाचार पत्रों के विभिन्न पहलुओं को दिखाया है। उन्होंने उद्दंड मार्तंड का उदाहरण देते हुए कहा कि इस समाचार पत्र को आर्थिक चुनौतियों के कारण बंद करना पड़ा था।




पत्रकारिता को अभी तक कला का दर्जा नहीं मिला है

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने प्रदर्शनी के विषय में बात करते हुए कहा कि हालांकि भारतीय पत्रकारिता ने काफी लंबा सफ़र तय कर लिया है, परन्तु फिर भी पत्रकारिता को अभी तक कला का दर्जा नहीं मिला है। उन्होंने पत्रकारिता को समाज को दिशा दिखाने वाली कला बताया और कहा कि पत्रकारिता में बहुत शक्ति है। इस पोस्टर प्रदर्शनी के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह प्रदर्शनी पत्रकारिता के विषय में लोगों का नजरिया बदलेगी।

प्रदर्शनी में लगा एक पोस्टर

प्रदर्शनी के विषय में अपने मत रखते हुए मुख्य अतिथि के जी सुरेश ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहल है। और यह प्रदर्शनी केवल हिंदी पत्रकारिता तक ही सीमित नहीं है। यह पत्रकारिता से जुड़े वैश्विक मुद्दों को लेकर है। श्री के. जी. सुरेश ने हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि हालांकि यह सच है कि आज हिंदी या क्षेत्रीय भाषा की पत्रकारिता में काफी मौके हैं और यही जमीन से जुड़े मुद्दों को उठाती हैं, फिर भी अंग्रेजी मीडिया ही क्यों एजेंडा सेट करती है, यही प्रश्न है! उन्होंने सांस्कृतिक मुद्दों और पत्रकारिता के विषय में बात करते हुए कहा कि जो स्थानीय या सांस्कृतिक मुद्दे होते हैं उन पर स्थानीय भाषा के पत्रकार ही समझ कर पत्रकारिता कर सकते हैं। उन्होंने इस विषय में कुम्भ का उदाहरण देते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम को अंग्रेजी मीडिया उतना महत्व नहीं दे रहा है जितना देना चाहिए। परन्तु उन्होंने हिंदी के विषय में बदलते हुए माहौल के बारे में कहा कि बदलाव आ रहा है, आज हर एयरपोर्ट पर हिंदी और स्थानीय भाषा के समाचार पत्र उपलब्ध हैं। इस प्रदर्शनी के विषय में अपना मत रखते हुए उन्होंने कहा कि यह एक शानदार पहल है और उन्होंने दीप्ति कुशवाह से भारतीय जनसंचार संस्थान में भी इस पोस्टर प्रदर्शनी को प्रदर्शित करने का प्रस्ताव दिया।
के.जी.सुरेश को प्रदर्शनी दिखातीं  दीप्ति कुशवाह

कार्यक्रम में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने इस प्रदर्शनी को शुभकामनाएं देते हुए इसे एक अभिनव प्रयोग बताया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के परामर्शदाता श्री राकेश कुमार द्विवेदी ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा बताया कि यह प्रदर्शनी 11 से 14 फरवरी तक चलेगी। 


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari