अरुंधति रॉय इन हिंदी — स्वतंत्र किन्तु जाति व्यवस्था में आकंठ डूबा भारत राष्ट्र — #एक_था_डॉक्टर_एक_था_संत


अरुंधति रॉय इन हिंदी | फ़ोटो: भरत एस तिवारी

अरुंधति रॉय इन हिंदी — स्वतंत्र किन्तु जाति व्यवस्था में आकंठ डूबा भारत राष्ट्र — एक था डॉक्टर एक था संत

कि क्याक्या गाँधी नही थे और क्याक्या आंबेडकर थे

अरुंधति राय की किताब उनकी भाषा सब उनके निर्भीक तेवर के होते हैं। कुछ समय पहले अंग्रेजी में प्रकाशित उनकी किताब 'द डॉक्टर एंड द सेंट' ― जो कि क्याक्या गाँधी नही थे और क्याक्या आंबेडकर थे, आदि के चलते ― बहुत चर्चा में थी/है, उसका हिंदी संस्करण 'एक था डॉक्टर एक था संत' , आ रहा है। ठीक चुनाव के समय उस किताब का आना: जैसे एक बहुत जरूरी काम का एकदम ठीक समय पर होना। अच्छी बात यह भी है कि लोकार्पण के साथ नई दिल्ली के "कॉन्स्टिट्यूशन" क्लब में राजकमल प्रकाशन ने — इन डॉक्टर और संत की बातों के अनजाने कमजाने सचों पर— बहस भी रखी है (कार्ड नीचे लगा है)... देखते हैं क्या निकल कर आता है ― उर्मिलेश उर्मिल, दिलीप मंडल, राजेन्द्र पाल गौतम, अनिता भारती, मनीषा बांगर, सुनील सरदार, अनिल यादव 'जयहिंद' के बीच रतन लाल संचालित बहस में। फिलहाल अरुंधति राय की किताब क्या है और उस पर की गई कुछ टिप्पणियां पढ़ें –




वर्तमान भारत में असमानता को समझने और उससे निपटने के लिए अरुंधति रॉय ज़ोर दे कर कहती हैं कि हमें राजनैतिक विकास और मोहनदास करमचंद गांधी के प्रभाव— दोनों का ही परीक्षण करना होगा। सोचना होगा कि क्यों भीमराव आंबेडकर द्वारा गांधी की लगभग दैवीय छवि को दी गई प्रबुद्ध चुनौती को भारत के कुलीन वर्ग द्वारा दबा दिया गया। रॉय  के विश्लेषण में हम देखते हैं कि न्याय के लिए आंबेडकर की लड़ाई जाति को सुदृढ़ करनेवाली नीतियों के पक्ष में व्यवस्थित रूप से दरकिनार कर दी गई, जिसका परिणाम है वर्तमान भारतीय राष्ट्र जो आज ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र है, विश्वस्तर पर शक्तिशाली है, लेकिन आज भी जो जाति व्यवस्था में आकंठ डूबा हुआ है। 

अरुंधति रॉय इन हिंदी | फ़ोटो: भरत एस तिवारी
अरुंधति रॉय इन हिंदी | फ़ोटो: भरत एस तिवारी

अरुंधति रॉय हमारे समय के चंद महान क्रान्तिकारी बुद्धिजीवियों में से एक हैं...साहसी, दूरदर्शी, विद्वान और सुविज्ञ...द डॉक्टर एंड द सेंट शीर्षक यह निबंध बी.आर. आंबेडकर पर एक स्पॉटलाइट डालता है जिन्हें अनुचित ढंग से गांधी की अपछाया में ढाँप दिया गया। संक्षेप में, रॉय एक शानदार शख़्सियत हैं जो हम सभी को झकझोरती हैं।
कोर्नेल वेस्ट | द अफ़्रीकन-अमेरिकन सेचुरी के लेखक

पूँजीवादी संसार में जो स्थान कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो का है, ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट का भारत में वही स्थान है।
आनंद तेलतुम्बड़े | द परसिस्टंस ऑफ़ कास्ट के लेखक

1930 के दशक के लिए ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट  चमत्कारिक लेखन का एक ऐसा नमूना था जिसमें वैचारिक स्पष्टता और राजनीतिक समझ थी—कुछ ऐसा जिसे दुनिया को जानना जरूरी है। रॉय के कलम में एक पैना राजनैतिक प्रहार है, जिसकी अपेक्षा उनसे हमेशा रहती है।
उमा चक्रवर्ती | पंडिता रमाबाई : ए लाइफ़ एंड ए टाइम की लेखिका

अरुंधति रॉय की कलम असरदार, आँखें खोल देनेवाली और उत्तेजक है...इसे पढ़ने के बाद महात्मा की संत वाली महिमा का कुछ बाक़ी नहीं बचता, जबकि आंबेडकर सही तौर पर एक ऐसी शख़्सियत के रूप में उभरकर आते हैं जिनका अपनी ज्ञानेन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण है और जो विलक्षण प्रज्ञा के स्वामी हैं।
थॉमस ब्लोम हेनसेन | द सैफ़्रन वेव के लेखक




००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. एक क्रांतिकारी लेखिका जो समाज के पूर्वाग्रहों और चालाक सोच पर बिना लाग-लपेट के सीधा प्रहार करती है। शोर-शराबे से दूर चिंतन की गहराई को समकालीन सरोकारों से जोड़ने में माहिर अरुंधति जी को बधाई एवं शुभकामनाएँ। अनुवादकों का समाज के हित में प्रयास सराहनीय है।


    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

काली-पीली सरसों | ज्योति श्रीवास्तव की हिंदी कहानी | Shabdankan
बारहमासा | लोक जीवन और ऋतु गीतों की कविताएं – डॉ. सोनी पाण्डेय
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चतुर्भुज स्थान की सबसे सुंदर और महंगी बाई आई है