भारतीय उपक्रमी महिला श्रृंखला, जानिये कश्मीर की आरिफा जान (Arifa Jan) को। युवा पत्रकार श्वेता यादव की रिपोर्ट। महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से…
छोटी बच्चियों का, बेटियों का ख़ुद को बचा कर भागना क्या हमेशा ज़ारी रहेगा? कुसुम भट्ट की कहानी ' नदी की उँगलियों के निशान ' पढ़िए। पहाड़ो के कहा…
इस आखिरी किस्त के साथ विनोद भारद्वाज जी की किताब यादनामा पूरी हो गयी है। इसका उप-नाम है, लॉकडाउन डायरी, कुछ नोट्स, कुछ यादें । जल्दी ही किताब भी स…
विनोद जी अपने संस्मरणों में, इसके पिछले लेखन (जापान वाले 'साकुरा की यादें') से, खूबसूरत कवि-से हो गए हैं! उनके इस सौन्दर्य भरे परिवर्तन से उ…
Photo credit: Monia Merlo (https://www.thegreengallery.com/en/issue-1/portfolio) साकुरा, मुझे फिर बुलाओ, मेरे पास आओ, एक अदृश्य चुंबन दो मुझे, …
और फिर वह हॅंसी फिर उभरी आश्वस्त करती / थोड़ा ताजा थोड़ा नम / ‘‘ और ठीक हो न / कुछ लिखते भी हो / मैंने पढ़ा था शायद.........’’ रघुवंश मणि की कविता…
अनुपम मिश्र की पुस्तक 'विचार का कपड़ा' की समीक्षा और चर्चा description वरिष्ठ आलोचक श्री रवींद्र त्रिपाठी के साथ, अनुपम मिश्र की पुस्…
वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग डिप्रेशन पर अपनी कहानी (Hindi Story on Depression) के बारे में बताते हुए कहती हैं, भारत में सच्चे मनोचिकित्सक नह…