लप्रेक – है क्या यह? पढ़िए मुकेश कुमार सिन्हा की तीन ल घु प्रे म क हानियाँ उम्मीद शायद सतरंगी या लाल फ्रॉक के साथ, वैसे रंग के ही फीते …
आगे पढ़ें »तकिये में एक दिल होता है — गौरव सक्सेना "अदीब" सो गए तुम "नहीं तो जाग रहा हूँ, क्यों?” क्यों जाग रहे हो वैसे। "…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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