कृष्णा सोबती जी के प्रिय उपन्यास 'मित्रो मरजानी' का यह अंश यह कहते हुए कि वह पितृसत्ता भी ख़तरनाक हो सकती है जिसके केंन्द्र में मातृ-शक्ति हो…
गला घोंट डंडामार डॉक्टर की दुनिया — विनोद भारद्वाज संस्मरणनामा ऐसा कहा जाता है अज्ञेय अपनी पंजाबियत को छिपाते थे, दूसरी तरफ़ कृष्णा सो…
कृष्णा सोबती: प्रतिरोध की आवाज़ —ओम थानवी कृष्णाजी से पाठक के नाते मेरा रिश्ता पुराना था। दिल्ली आने के बाद कुँवर नारायण, कृष्ण …
कृष्णा सोबती की कहानी आज़ादी शम्मोजान की 'भूरे-भूरे' उसने आवाज़ लगाई। शम्मोजान की सीढ़ियों पर बैठा भूरा किसी नौजवान छोकरे क…
Photo (c) Bharat Tiwari कृष्णा सोबती की कविता वैदिक है क्रान्ति क्रान्ति क्रान्ति भारत में क्रान्ति नहीं है यह कोई…
!-- itemprop="image" meta itemprop="datePublished" content="2015-02-05T08:00:00+08:00"/--> मोदीजी के नाम कृ…